श्योपुर के एतिहासिक किला परिसर में संचालित इस संग्रहालय में सहरिया समाज की संस्कृति के जीवंत दर्शन होते हैं। सहरिया समाज के खान-पान, रहन-सहन, पहनावा, ज्वैलरी, आवास आदि के बारे में संग्रहालय में विस्तार से डिस्पले किया हुआ है। ज्वैलरी सेक्शन में सहरिया महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले आभूषण, वनोपज सेक्शन में सहरिया समाज की वनोपज आजीविका के बारे में भी अलग से बताया गया है। कुएं से पानी भरने, हथाई या बंगला, सहरियाओं के वाद्ययंत्र, सहरिया बच्चों के खिलौने आदि से सहरिया संस्कृति के अनूठेपन का अहसास कराते हैं।
1986 में बनी परिकल्पना, 1990 में हुई साकार
सहरिया जनजाति की अपनी एक विशिष्ट संस्कृति रही है, जिसे संरक्षण एवं संवर्धन की दृष्टि से सहरिया विकास अभिकरण, नगरपालिका श्योपुर और पुरातत्व संरक्षण समिति के माध्यम से सहरिया संग्रहालय के रूप में फ्रेम किया गया है। ग्वालियर-चंबल के तत्कालीन कमिश्नर और सहरिया विकास प्राधिकरण के पदेन अध्यक्ष अजय शंकर ने वर्ष 1986 में इसकी परिकल्पना की और पुरातत्व संरक्षण समिति बनाई। समिति ने जिले के सहरिया गांवों में पहुंचकर न केवल अध्ययन किया बल्कि सहरिया संस्कृति से जुड़ी सामग्री संकलित की। जिसके बाद वर्ष 1990 में श्योपुर किला स्थिति बड़े भवन में सहरिया संग्रहालय स्थापित किया गया।