यही वजह है कि यह बात जब ८४ गांव की महापंचायत के समक्ष महापंचायत के उपाध्यक्ष सतीश आदिवासी की ओर से रखी गई, तो समाज ने एक मत होकर पूरी बस्ती को ही समाज से बाहर कर दिया। इस बस्ती के साथ रोटी और बेटी व्यवहार का महापंचायत का यह निर्णय तब तक रहने की बात कही गई है, जब तक कि यह पूरी बस्ती शराब का सेवन और विक्रय करने की परंपरा बंद नहीं करती है। सहरिया विकास परिषद और सहरिया समाज सुधार समिति के संयुक्त तत्वाधान में उत्कृष्ट स्कूल में आयोजित हुई महापंचायत में तय किया गया कि समाज के विकास के लिए जरूरी है कि शराब का सेवन समाज में पूरीतरह से बंद हो। इसके लिए पुलिस से कराहल क्षेत्र के हर गांव क्षेत्र में शराब का विक्रय पूरी तरह से बंद किए जाने की मांग भी रखी गई।
महापंचायत में समाज के लोगों की भागीदारी पर जो बातें तय की गई उनमें सभी सहरिया बस्तियों को शराब मुक्त किए जाने के साथ ही स्कूलों में बच्चों को नियमित भेजना व शिक्षकों के नियमित पहुंचने की मांग प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष रखने की बात भी तय की गई। भाषाई शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आदिवासी विकास खण्ड के लिए हर साल दो करोड़ रुपए देने, सहरिया शिक्षित युवाओं को २ करोड़ रुपए साल के डीएड बीएड कराने के दिए जाने, संपूर्ण सहरियांचल में सहरियाओं की भूमि का सीमांकन बिना चालान किए जाने आदि की मांग भी बैठक में उठाई गई। साथ ही सहरिया विकास परिषद द्वारा इस बैठक बाद तय किया गया कि सहरिया हितों की इन मांगों को १५ दिवस में स्वीकृति न दी गई तो सहरिया विकास परिषद पूरे मप्र में सहरियाओं को संगठित करेगा और फिर से भोपाल कूच कर वहां पर धरना देगा। कार्यक्रम का संचालन सुग्रीव लांगुरिया द्वारा किया गया। जबकि टुण्डाराम आदिवासी ,सतीश आदिवासी, मुकेश मल्होत्रा, नंदकिशोर आदिवासी, हरदयाल खांडेकर, बाइसराम, अशोक त्रासी राजस्थान, ग्वालियर से लाखन सिंह सहरिया, शिवपुरी से रामकिशोर ढोंडिया, अशोक नगर से हरवीर खण्डेले आदि ने भी मौजूद रहकर कार्यक्रम को संबोधित किया।
शराब सामाजिक बुराई है और समाज सुधार को इसकी रोकथाम जरूरी है। कराहल के अचार बाला सहराना की बस्ती में प्रतिबंध बाद भी शराब का सेवन हो रहा था, इसी पर पंचों की ओर से इस पूरी बस्ती को शराब से दूरी बनाने तक के लिए समाज से बाहर कर दिया गया है।
सतीश चौहान, उपाध्यक्ष सहरिया समाज सुधार समिति 84 गांव