scriptकफ्र्यू में रूकी दूध की बिक्री, पशुपालकों ने गायों को ही पिलाना किया शुरू | Sale of milk stopped in curfew, cattle ranchers started feeding cows | Patrika News

कफ्र्यू में रूकी दूध की बिक्री, पशुपालकों ने गायों को ही पिलाना किया शुरू

locationश्योपुरPublished: Apr 10, 2020 10:46:29 am

Submitted by:

Anoop Bhargava

– कराहल के गोरस रोजाना 18 से 20 हजार क्विंटल होता है दूध

कफ्र्यू में रूकी दूध की बिक्री, पशुपालकों ने गायों को ही पिलाना किया शुरू

कफ्र्यू में रूकी दूध की बिक्री, पशुपालकों ने गायों को ही पिलाना किया शुरू

श्योपुर/कराहल
जिले में कोरोना संक्रमित मरीज मिलने के बाद जिले में लगे कफ्र्यू के चलते दूध की बिक्री पर असर पड़ा है। ऐसे में दूध खराब न हो इसके लिए पशुपालकों गायों को ही दूध पिलाना शुरू कर दिया है।गोरस में 18 से 20 हजार क्विंटल प्रतिदिन दूध का उत्पादन होता है। लेकिन कफ्र्यू के बाद खपत कम होन से पशुपालकों के पास दूध की बचत होने लगी ऐसे में उन्होंने गायों को ही दूध पिलाना शुरू करने का निर्णय लिया। हालांकि लॉक डाउन के बाद से ही दूध के उत्पादन पर असर पडऩे लगा था। गोरस से सरकारी एव प्राईवेट डेयरी के अलावा श्योपुर कोटा ग्वालियर शिवपुरी जिलों में दूध जाता था वहां भी दूध जाना बंद हो गया है।
कराहल क्षेत्र के ढेड़ दर्जन गांवों के पशुपालकों के सामने दूध की बिक्री न होने के कारण आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया है। खपत न होने के बाद भी दूध निकलना पशु पालकों की मजबूरी है। क्योंकि हर दिन 3 से 6 लीटर दूध देने वाली गायों का अगर दूध नहीं निकाला जाएगा तो उनके व्यवहार में परिवर्तन होने का डर रहता है। साथ ही गाय दूध देने में दिक्कत कर सकती है। वहीं दूध देने में भी कमी आ सकती है। इस डर से पशुपालक हर दिन गायों का दूध निकालकर गायों को पिला रहे हैं। कराहल पशु चिकित्सा विभाग डॉ. रामनिवास शाक्य का कहना है कि गायों का दूध हर दिन नैचुरल बनकर तैयार होता है यदि गायों के दूध को नहीं निकाला जाए उनमें थानेना रोग हो सकता है। दूध भी घट सकता है। गायों के व्यवहार में परिवर्तन आ सकता है।
इनका कहना है
एक सैकड़ा गाय हर दिन दूध देती हैं। कफ्र्यू लगने से दूध की ब्रिकी नहीं हो रही है, जिससे दूध निकालकर गायों को ही पिला रहे हैं। मेरा तीन क्विंटल दूध श्योपुर जाता है। दो दिन से नहीं जा रहा है।
कैलाश गुर्जर
पशुपालक, गोरस
दुध एक दिन नहीं निकालने पर गायों के व्यवहार में परिवर्तन आता है। साथ ही गाय के दूध देने में भी कमी आ सकती है। वहीं गायों के संक्रमण फैलने का डर भी बना रहता है। इसलिए दूध निकलना पड़ता है।
सग्राम सिंह गुर्जर
पशुपालक, गोरस
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