कराहल क्षेत्र के ढेड़ दर्जन गांवों के पशुपालकों के सामने दूध की बिक्री न होने के कारण आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया है। खपत न होने के बाद भी दूध निकलना पशु पालकों की मजबूरी है। क्योंकि हर दिन 3 से 6 लीटर दूध देने वाली गायों का अगर दूध नहीं निकाला जाएगा तो उनके व्यवहार में परिवर्तन होने का डर रहता है। साथ ही गाय दूध देने में दिक्कत कर सकती है। वहीं दूध देने में भी कमी आ सकती है। इस डर से पशुपालक हर दिन गायों का दूध निकालकर गायों को पिला रहे हैं। कराहल पशु चिकित्सा विभाग डॉ. रामनिवास शाक्य का कहना है कि गायों का दूध हर दिन नैचुरल बनकर तैयार होता है यदि गायों के दूध को नहीं निकाला जाए उनमें थानेना रोग हो सकता है। दूध भी घट सकता है। गायों के व्यवहार में परिवर्तन आ सकता है।
इनका कहना है
एक सैकड़ा गाय हर दिन दूध देती हैं। कफ्र्यू लगने से दूध की ब्रिकी नहीं हो रही है, जिससे दूध निकालकर गायों को ही पिला रहे हैं। मेरा तीन क्विंटल दूध श्योपुर जाता है। दो दिन से नहीं जा रहा है।
कैलाश गुर्जर
पशुपालक, गोरस
इनका कहना है
एक सैकड़ा गाय हर दिन दूध देती हैं। कफ्र्यू लगने से दूध की ब्रिकी नहीं हो रही है, जिससे दूध निकालकर गायों को ही पिला रहे हैं। मेरा तीन क्विंटल दूध श्योपुर जाता है। दो दिन से नहीं जा रहा है।
कैलाश गुर्जर
पशुपालक, गोरस
दुध एक दिन नहीं निकालने पर गायों के व्यवहार में परिवर्तन आता है। साथ ही गाय के दूध देने में भी कमी आ सकती है। वहीं गायों के संक्रमण फैलने का डर भी बना रहता है। इसलिए दूध निकलना पड़ता है।
सग्राम सिंह गुर्जर
पशुपालक, गोरस
सग्राम सिंह गुर्जर
पशुपालक, गोरस