अस्पताल के अंदर गंदा पानी जमा देखकर कमिश्नर तिवारी ने खासी नाराजगी जताई और सीएमएचओ व सिविल सर्जन को फटकार लगाते हुए कहा कि यह गंदा पानी क्या डेंगू और मलेरिया बुलाने के लिए है। कमिश्नर ने तत्काल अस्पताल सहित नगर पालिका के सफाई कर्मियों को बुलाकर सफाई करवाई।
कमिश्नर को जिला अस्पताल के शौचालय भी काफी गंदे मिले। एक शौचालय के बंद दरवाजे को देखकर कमिश्नर ने सिविल सर्जन से कहा कि मुझे इसका दरवाजा खोल दिखावाओ। कमिश्नर के कहने पर सिविल सर्जन ने शौचालय का दरवाजा खोला तो वह हाथ में आ गया। क्योंकि उसके कब्जे टूटे थे। यह स्थिति कमिश्रर काफी नाराज हुई और सिविल सर्जन से बोली कि यह क्या है। इनमें तीन दिन के अंदर सुधार करवाओ। इसके बाद कमिश्रर ने जांच कक्ष,चिल्ड्रन वार्ड, मेटरनिटी वार्ड का भी निरीक्षण किया।
कमिश्नर ने जिला अस्पताल में घूमने वाली विक्षिप्त महिला को देखकर कहा कि इसका इलाज करो। इस पर सिविल सर्जन ने बताया कि यह मानसिक विक्षिप्त है। इसका इलाज यहां संभव नहीं है। सिविल सर्जन की यह बात सुनकर कमिश्नर ने कहा कि तो फिर जहां इलाज संभव है,वहां इसे पहुंच वाया जाए। यहां यह सुरक्षित नहीं है।
जब कमिश्नर दवा वितरण का केन्द्र का निरीक्षण करने के लिए पहुंची,तब वहां दवा लेने के लिए लाइन में लगी एक बीमार बालिका बेहोश होकर नीचे गिर गई। जिसे पुलिसकर्मियों ने उठाकर वार्ड में पहुंचवाया।
कमिश्नर रेणु तिवारी और कलेक्टर बसंत कुर्रे को जिला अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे वार्ड क्रमांक 11 निवासी नागाराम वैष्णव ने बताया कि मुझे खांसी की दिक्कत है। इसके इलाज के लिए मै जिला अस्पताल में एक माह से चक्कर लगा रहा हू। लेकिन मुझे न इलाज मिल रहा है और न ही दवाईया।
अस्पताल का निरीक्षण करने के बाद कमिश्नर ने अस्पताल परिसर की श्रमदान के जरिए साफ-सफाई की। इस दौरान अफसरों ने भी श्रमदान किया। कमिश्नर ने सीएमएचओ और सिविल सर्जन को निर्देश दिए कि इस स्थान को अच्छे पार्क के रूप में विकसित करवाओ और इसमें तुलसी के 100 पौधे लगवाओ।