नदी पार करने किसान ले रहे जुगाड़ की नाव का सहारा
मानपुर के निकट सीप नदी पर पुल नहीं होने से उस पर खेतों पर जाने को किसान कर रहे जुगाड़ की नाव का उपयोग, मांंग के बरसों बाद भी पुल बना न रपटा

श्योपुर,
लकड़ी के बड़े-बड़े ठंडों के बीच रस्सियों से बंधे हुए 15 से 20 मटके और उस पर बैठकर कभी लकड़ी के छोटे छोटे चप्पू चलाकर तो कभी नदी के दोनों किनारों पर बंधी रस्सी के सहारे-सहारे नदी पार करते किसान। ये तस्वीर है कि मानपुर कस्बे के पास बह रही सीप नदी की, जहां इसी प्रकार की जुगाड़ की नाव से किसान नदिया पार करने को मजबूर हैं। लेकिन बरसों की मंाग के बाद भी यहां न तो पुल बन पाया है और न ही रपटा।
जिला मुख्यालय से 33 किमी दूर मानपुर कस्बे में सीप नदी पार करने के लिए पीढिय़ों से जुगाड़ की नाव( जिसे स्थानीय लोग टाटा कहते हैं) का उपयोग हो रहा है। वर्तमान में एक दर्जन नाव से एक सैकड़ा से ज्यादा लोग नदी पार कर अपने खेतों तक प्रतिदिन आ-जा रहे हैं। चूंकि मानपुर कस्बे सहित सरोदा, मेवाड़ा, बहरावदा, कछार आदि गांव तो नदी के एक तरफ बसे हैं, लेकिन यहां के अधिकांश किसानों के खेत दूसरी तरफ हैं। यही वजह है कि किसानों को खेती-बाड़ी के लिए रोज नदी पार करनी पड़ती है। इसलिए जुगाड़ की ये टाटा नाव ही किसानों का सहारा बनी हुई है।
जुगाड़ सस्ता, लेकिन सफर जोखिम भरा
सीप नदी पार करने के लिए ये जुगाड़ की नाव हालांकि लगभग एक हजार रुपए में तैयार हो जाती है, लेकिन जुगाड़ का ये सफर, जोखिम भरा है। लिहाजा किसान यहां पुल या रपटा बनाने की मांग कर रहे हैं। बारिश के दिनों में तो नदी का जलस्तर बढ़ा होने के चलते ये टाटा नाव अनुपयोगी हो जाती है, जिससे किसान बालापुरा के सीप पुल से होते हुए हीरापुर होकर 15 किलोमीटर का लंबा चक्कर काटकर खेतों पर पहुंचते हैं।
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