राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में गत 2 फरवरी से 16 फरवरी तक श्योपुर से भिंड जिले तक चंबल नदी में जलीय जीवों का वार्षिक सर्वे किया गया। जिसमें घडिय़ालों की संख्या में गत वर्ष के मुकाबले 317 की वृद्धि हुई है। विशेष बात यह है कि वर्ष 2012 में चंबल में 905 घडिय़ाल थे, जो अब बढक़र 2176 हो गए हैं, यानि बीते 10 साल में 140 फीसदी (दो गुने से भी ज्यादा) की वृद्धि हो गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक चंबल का साफ पानी और बेहतर हेबीटेट क्षेत्र घडिय़ालों को रास आ रहा है, जिसके चलते विलुप्त होती ये प्रजाति अब संरक्षित हो रही है।
विलुप्त होती घडिय़ालों की प्रजाति के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 1978 में चंबल नदी में राष्ट्रीय चंबल घडिय़ाल अभयारण्य की स्थापना की गई। इसमें श्योपुर जिले के पाली घाट से मुरैना और भिंड होते हुए यूपी के चकरनगर तक 435 किलोमीटर का हिस्सा आता है। बताया गया है कि जिस समय चंबल अभयारण्य की स्थापना हुई, उस समय यहां घडिय़ालों की संख्या 100 से भी नीचे थे, लेकिन अब 43 सालों बाद ये 2176 पर पहुंच गई है।
वर्ष 1983 से शुरू हुआ वार्षिक सर्वे
ंचंबल अभयारण्य में घडिय़ाल सहित अन्य जलीय जीवों के सर्वे की शुरुआत वर्ष 1983 में हुई। बताया गया है कि तत्समय में रिसर्च ऑफिसर डॉ. एलएके सिंह ने न केवल सर्वे की शुरुआत की, बल्कि जलीय जीवों के सर्वे का प्रोटोकॉल भी तय किया। बताया गया है कि तत्समय ही मुरैना में देवरी घडिय़ाल संरक्षण केंद्र स्थापित किया गया, जो मध्यप्रदेश का एकमात्र घडिय़ाल केंद्र है। इस केंद्र पर घडिय़ालों के अंडों को सहेज कर बच्चों का तीन साल तक संरक्षण किया जाता है और फिर उन्हें चंबल में छोड़ा जाता है।
वर्ष घडिय़ाल
2021 2176
2020 1859
2019 1876
2018 1681
2017 1255
2016 1162
2015 1151
2014 1088
2013 948
2012 905