जमीन चिन्हित नहीं होने के बावजूद तत्समय पीडल्ब्यूडी के माध्यम से शासन को प्राकलन बनाकर भी भेजा गया था, जिसके मुताबिक हवाईपट्टी के निर्माण की लागत लगभग 9 करेाड़ रुपए आंकी गई। यही नहींहवाई पट्टी बनाने के लिए जिले में 2600 मीटर लंबी व 1600 मीटर चौड़ी जमीन का हिस्सा चाहिए। जो पूरी तरह सपाट हो और हाईवे या जिला मुख्यालय को जोडऩे वाले मुख्य मार्ग के समीप हो।
आठ साल पहले पदस्थ राजस्व और पीडब्ल्यूडी के अफसरों ने जिले में हवाइपट्टी के लिए सबसे पहले मानपुर व जैनी के पास जमीन देखी थी, लेकिन अफसरों को पसंद नहीं आई। इसके बाद कराहल के रानीपुरा में आसाराम गौशाला के पास की जमीन को हवाई पट्टी के लिए चिन्हित कर लिया, लेकिन उसकी नापजोख हुई तो वह आवश्यकता से कम निकली। इसके बाद सोंईंकला के पास जमीन देखी। लेकिन यहां भी बात नहीं बनी।
जिले के कूनो नेशनल पार्क में आगामी समय में अफ्रीकी चीतेे लाए जाने हैं, ऐसे में यहां पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी। लिहाजा यहां हवाइपट्टी बनेगी तो पर्यटक यहां हवाई मार्ग से भी पहुंच सकेंगे। इसके साथ ही मंत्रियों और किसी वीआइपी के लिए श्योपुर दौरे के लिए भी बार-बार हेलीपेड बनाने या हेलीपेड के लिए जगह ढूंढने की भी समस्या से निजात मिलेगी।
सिंधिया के मंत्री बनने से उम्मीद
राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को पिछले दिनों केंद्र सरकार में केबिनेट मंत्री बनाए जाने और फिर नागरिक उड्डयन विभाग उन्हें दिए जाने के बाद श्योपुर की हवाइपट्टी का प्रस्ताव भी धरातल पर उतरने की उम्मीद है। हालांकि लोगों का कहना है कि सिंधिया रेलमंत्री बनने तो श्योपुर का ब्रॉडगेज प्रोजेक्ट जल्द पूरा होता।