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चीता प्रोजेक्ट में पहले कोरोना और फिर बाढ़ ने रोकी तैयारियां, अब ओमीक्रॉन ने रोकी राह

locationश्योपुरPublished: Dec 13, 2021 08:27:14 pm

Submitted by:

jay singh gurjar

कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीकी चीतों की दौड़ दिखाने कछुआ चाल रहा प्रोजेक्ट

चीता प्रोजेक्ट में पहले कोरोना और फिर बाढ़ ने रोकी तैयारियां, अब ओमीक्रॉन ने रोकी राह

चीता प्रोजेक्ट में पहले कोरोना और फिर बाढ़ ने रोकी तैयारियां, अब ओमीक्रॉन ने रोकी राह

श्योपुर,
तेज दौड़ के लिए पहचान रखने वाले अफ्रीकी चीतों के लिए कूनो नेशनल पार्क में चल रहा चीता प्रोजेक्ट कछुआ चाल चल रहा है। यही वजह है कि बीते दो साल से चल रहे प्रोजेक्ट में अभी भी तय नहीं है कि चीते कब लाए जाएंगे। वहीं प्राकृतिक आपदाएं भी लगातार बाधा बन रही है। स्थिति ये है कि पहले कोरोना और बाढ़ से तैयारियां प्रभावित हुई, अब नए वेरिएंट ओमीक्रॉन का रोड़ा आ गया है। यही वजह है कि अभी कूनो नेशनल पार्क के अधिकारी और अफ्रीका जाकर ट्रैनिंग भी नहीं ले पाए हैं।
हालांकि भारत में अफ्रीकी चीतों को बसाने की मंजूरी सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2020 में दी थी, लेकिन लगभग दो साल बीतने के बाद भी नतीजा ढाक के तीन पात वाला है। बताया गया है कि कूनो नेशनल पार्क में 8 से 10 अफ्रीकी चीते लाए जाने हैं, लेकिन अभी तक तैयारियां पूरी नहीं हो पाई है। स्थिति ये है कि पहले कोरोना की दूसरी लहर के चलते कूनो में आवश्यक तैयारियां प्रभावित हुई, उसके बाद बाढ़ और अतिवर्षा ने काम प्रभावित किया। यही वजह है कि नवंबर में ही तय की गई चीतों की शिफ्ंिटग टल गई। हालांकि उम्मीद थी कि नए साल 2022 के जनवरी माह में चीते लाए जा सकते हैं, लेकिन अब ओमीक्रॉन ने राह रोक दी है। यही वजह है कि ओमीक्रॉन के चलते ही पिछले दिनों उच्चस्तरीय प्रतिनिधि मंडल का अफ्रीका का दौरा निरस्त हो गया है, वहीं कूनो के वन अधिकारियों को ट्रैनिंग के लिए अफ्रीका जाने का कार्यक्रम अभी तक तय नहीं हो पाया है। ऐसे में चीतों की शिफ्ंिटग में अभी और समय लगने की संभावना है।
24 साल शेरों का इंतजार, अंत में उम्मीद धूमिल
कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीकी चीतों का प्रोजेक्ट बीते दो साल से शुरू हुआ है, लेकिन उसके पहले 24 सालों तक कूनो में एशियाई सिंहों को बसाने का सपना दिखाया गया और अंत में धूमिल हो गया। तत्समय के कूनो अभयारण्य को वर्ष 1996 में गुजरात के गिर के एशियाई शेरों के दूसरे घर के रूप में चुना गया और 24 गांवों के 1545 परिवार विस्थापित किए गए, लेकिन 24 साल के इंतजार के बाद सरकारों ने यहां शेर प्रोजेक्ट को गौण कर अफ्रीकी चीता प्रोजेक्ट चालू कर दिया। ऐसे में लोगों का कहना है कि ऐसा न हो कि चीतों का इंतजार भी इंतजार ही बना रहे।

चीता प्रोजेक्ट एक नजर में…
-जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने दी भारत में चीता लाने की अनुमति।
-नवंबर 2020 में विशेषज्ञ दल ने किया था कूनो का दौरा।
-विशेषज्ञ दल ने कूनो में चीता लाने के लिए बताया मुफीद।
-मई 2021 में एनटीसीए ने कूनो में चीता लाने की दी मंजूरी।

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