इस बार भी जिले में 35 हजार हेक्टेयर में धान की फसल खड़ी है, लेकिन मंडी प्रशासन धान खरीदी की कोई व्यवस्था करता नजर नहीं आ रहा हे। ऐसे में इस बार भी श्योपुर का लगभग 525 करोड़ रुपए का धान कोटा की मंडी में जाएगा, जिसमें जहां 10 हजार किसानों को परेशानियां उठानी पड़ेगी, वहीं श्योपुर मंडी को भी टेक्स के रूप में लगभग 2 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ेगा। बावजूद इसके श्योपुर मंडी के अफसर धान खरीदी को लेकर कोई प्रयास नहीं कर पा रहे हैं।
कृषि अर्थव्यवस्था पर आधारित श्योपुर जिले में बीते दो दशक में धान का रकबा लगातार बढ़ा है। लेकिन श्योपुर मंडी में धान खरीदी की व्यवस्था नहीं है। यहां न तो स्थानीय व्यापारी धान की खरीदी करते हैं और न ही मंडी प्रशासन बाहर के व्यापारियों को लाकर खरीदी शुरू करवा पा रहा है। हालांकि हर साल मंडी के अफसर खरीदी शुरू करने के प्रयास के दावे करते हैं, लेकिन जब धान कटकर आता है तो स्थिति वही ढाक के तीन पात वाली हो जाती है। यही वजह है कि श्योपुर के किसानों को मजबूरी में अपना धान बेचने कोटा की मंडी में जाना पड़़ता है। जिसमें किसानों को आने-जाने की परेशानी, ट्रक व अन्य वाहन का भाड़ा, विक्रय के लिए तीन-चार दिन तक कोटा मंडी में ही डेरा जैसी परेशानियों से जूझना पड़ता है। बावजूद अफसर और जनप्रतिनिधि श्योपुर में धान की खरीद को लेकर मौन हैं।
श्योपुर में 35 हजार हेक्टेयर में खड़ी है धान की फसल
दो दशक पहले चंद रकबे में शुरू हुई धान की खेती इस बार जिले में 35 हजार हेक्टेयर में पहुंच गई है। पिछले दिनों आई तेज आंधी-बारिश से कई गांवों में धान की फसल खराब भी हुई है। इन्हीं सबके के बीच दीपावली के बाद से धान की कटाई शुरू हो जाएगी। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक श्योपुर जिले में एक हेक्टेयर में औसतन उत्पादन 50 क्ंिवटल होता है, इस लिहाजा से 35 हजार हेक्टेयर में 17 लाख 50 हजार क्ंिवटल धान के उत्पादन की संभावना है। ऐसे में 3 हजार रुपए प्रति क्ंिवटल के औसत भाव से भी देखें तो इस बार जिले में 525 करोड़ रुपए के आसपास के धान उत्पादन की संभावना है। लेकिन श्योपुर मंडी में खरीदी नहीं हेाने से ये पूरा धान कोटा की मंडी में जाएगा।
सरकारी कांटे पर होती है मोटे धान की खरीद
प्रदेश सरकार समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी तो करती है, लेकिन सरकार मोटा धान खरीदती है, जो श्योपुर जिले में नहीं होता। श्योपुर में बासमती के प्रकार का उत्तम क्वालिटी का धान होता है, जो सरकारी कांटे पर खरीदा नहीं जाता। यही वजह है कि मजबूरी में किसान राजस्थान के कोटा में 3 से 4 हजार रुपए प्रति क्ंिवटल में जाकर विक्रय करते हैं। जबकि सरकार के समर्थन मूल्य के कांटों पर 1815 रुपए प्रति क्ंिवटल से धान की खरीदी होती है। पिछले वर्षों में इन केंद्रों पर जिले के 2 या 3 किसानों ने ही अपना मोटा धान बेचा है।
श्येापुर का तो कोई व्यापारी धान खरीदी के लिए तैयार नहीं होता है, फिर भी जो लाइसेंस लेना चाहे, हम देने को तैयार हैं। इसके अलावा हम डबरा, कोटा और हरियाणा के व्यापारियों से भी चर्चा कर रहे हैं। हम श्योपुर में धान खरीदी के लिए प्रयासरत हैं।
एसएनएस सिकरवार
सचिव, कृषि उपज मंडी श्योपुर
20-साल पूर्व बना था श्योपुर जिला।
01-लाख 25 हजार हेक्टेयर है खरीफ फसल का रकबा।
35-हजार हेक्टेयर में है इस बार धान की फसल।
25-फीसदी से ज्यादा धान की फसल है कुल खरीफ में।
120-किलोमीटर है श्योपुर से कोटा की दूरी
200-व्यापारियों में से एक भी धान का व्यापारी नहीं है श्येापुर मंडी में।
10-हजार रुपए भाड़े पर ट्रक में किसान कोटा ले जाते हैं धान।
02-करोड़ का टेक्स मिलेगा यदि श्योपुर मंडी में हो धान की खरीदी