नियमानुसार शहर के गली मोहल्लों की सड़कों पर कहीं भी स्पीड ब्रेकर बनाने का नियम नहीं है। बेहद जरूरी होने पर मामला जिला यातायात सुरक्षा समिति के पास जाता है और उसके अनुमोदन के बाद ही निश्चित मापदंड के अनुरूप ब्रेकर बनवाए जाते हैं। लेकिन इसका पालन शहर में नहीं हुआ और हर गली में ब्रेकर बना दिए गए हैं, जो मानकों से काफी परे हैं। विशेष बात यह है कि लोगों द्वारा अपनी सहूलियत के हिसाब से घरों के आगे बनाए गए ये स्पीड ब्रेकर 6 से 9 इंच तक ऊंचे हैं, जिनसे आए दिन हादसे हो रहे हैं। लेकिन नपा के नुमाइंदों ने पूरी तरह आंखें मूंदी हुई है या फिर यूं कहें कि जानबूझकर नपा के कारिंदों की मिलीभगत से ये स्पीड ब्रेकर बन रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक अमानक और ऊंचे ब्रेकर खासतौर पर गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए घातक हैं। स्पीड ब्रेकर्स से गुजरने पर वाहन चालकों की रीढ़ की हड्डी को झटका लगता है। इससे हड्डियां के्रक या मसल्स डेमेज हो सकती है जो धीरे-धीरे करके कुछ दिनों बाद कमर दर्द के रूप में सामने आती है
बनाने के लिए लेनी पड़ती है परमिशन
स्पीड ब्रेकर ट्रैफिक पुलिस व लोगों की मांग पर नगरीय निकाय भी बनवाती है। इसके लिए पीडब्ल्यूडी को आवेदन देना होता है। विभाग के अधिकारी ब्रेकर की आवश्यकता जांचने के बाद परमिशन देते हैं, जबकि शहर में मनमर्जी से ब्रेकर बनेे हैं। इसके कई उदाहरण हर गली मोहल्ले में मिल जाएंगे। जबकि रोड पर कोई बाधा उत्पन्न नहीं कर सकता।
मोहल्लों की सड़कों पर ब्रेकर गैर कानूनी
विशेषज्ञों के अनुसार मोहल्लों में अपने-अपने घर के सामने ब्रेकर बनवा लेते हैं। यह गैर कानूनी है। यह सड़क निर्माण एजेंसी या स्थानीय नगरीय निकाय की जमीन में अतिक्रमण जैसा है। इस पर जुर्माना भी ठोका जा सकता है। रोड पर बाधा उत्पन्न करने वालों की शिकायत की जा सकती और कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया जा सकता है।
वर्जन
यदि लोगों ने अपनी मनमर्जी से स्पीड ब्रेकर बनवा लिए हैं तो ये गलत है। इसे दिखवाते हैं और न केवल स्पीड ब्रेकर्स हटवाएंगे बल्कि बनाने वालों पर कार्यवाही भी करेंगे।
ताराचंद धूलिया
सीएमओ, नपा श्योपुर