खेल अधिकारी ने फुटबॉल खिलाडिय़ों को खदेडऩे दो थानों की पुलिस बुलाई
शानिवार की सुबह खेल अधिकारी अरुण सिंह चौहान ने फुटबॉल खिलाडिय़ों धमकाया और उन्हें स्टेडियम से बाहर खदेडऩे के लिए दो थानों का पुलिस बल मौके पर बुला लिया।

श्योपुर. शानिवार की सुबह पुलिस की दम पर खेल अधिकारी अरुण सिंह चौहान ने फुटबॉल खिलाडिय़ों धमकाया और उन्हें स्टेडियम से बाहर खदेडऩे के लिए दो थानों का पुलिस बल मौके पर बुला लिया। पुलिस को स्टेडिमय के बाहर और अंदर देखकर फुटबॉल खिलाड़ी आक्रोशित हो गए और उन्होंने जिला खेल अधिकारी की मनमानी को लेकर नारेबाजी कर दी। खिलाड़ी स्टेडियम के गेट पर विरोध दर्ज कराते हुए बैठ गए। उनका कहना था कि फुटबॉल के लिए दूसरा कोई खेल परिसर नहीं है इसलिए स्टेडियम में एक साइड खेल लेते हैं, लेकिन खेल अधिकारी जबरदस्ती फुटबॉल बंद कराने पर अमादा हैं।
जिला फुटबॉल संघ ने जिला खेल अधिकारी चौहान की मनमानी और उनके द्वारा किए जा रहे गलत व्यवहार को लेकर कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर कलेक्टर के नाम एसडीएम यादव को ज्ञापन सौंपा। खिलाडिय़ों ने एसडीएम को बताया कि खेल अधिकारी पुलिस का सहारा लेकर खिलाडिय़ों पर कार्रवाई कराने की धमकी दे रहे हैं। इस कार्रवाई से फुटबॉल खिलाड़ी आहत हुए हैं। अगर किसी तरह की जोरजबरदस्ती से खेल बंद कराया गया तो आंदोलन करने पर विवश होना पड़ेगा। एक ओर जहां सरकारी जिला एवं ग्रामीण स्तर पर खिलाडिय़ों को तराशने के साथ सभी खेल सुविधाएं मुहैया कराने की बात करती है वहीं खेल अधिकारी चौहान खेल बंद कराने पर अमादा हैं।
शराब पीकर करते हैं अभद्र व्यवहार
फुटबॉल खिलाडिय़ों ने जिला खेल अधिकारी अरुण चौहान पर शराब पीकर खिलाडिय़ों से अभद्र व्यवहार करने के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि खेल अधिकारी के अभद्र व्यवहार के चलते महिला खिलाड़ी व बालिकाओं ने स्टेडियम आना ही बंद कर दिया हैं। खिलाडिय़ों ने बताया कि खेल अधिकारी को नशे को लेकर जागरूकता फैलाना चाहिए, लेकिन वह स्वयं स्टेडियम परिसर में ही शराब पी लेते हैं। इससे महिला व बालिका स्टेडियम में नहीं आतीं।
औकात में रहने की देते हैं नसीहत
वीर सावरकर स्टेडियम को सरकार ने भले ही खेल प्रतिभाएं निखारने के लिए बनाया, लेकिन यहां तैनात खेल अधिकारी प्रतिभाओं को तराशने की बजाय उनको औकात में रहने की नसीहत देते हैं। जिला खेल अधिकारी चौहान पर फुटबॉल खिलाडिय़ों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि खेल अधिकारी के व्यवहार के कारण यहां बालिका खिलाडिय़ों ने आना ही बंद कर दिया है। इसके बाद भी जिले के अफसर खेल अधिकारी की बातों में आकर गुमराह हो रहे हैं।
किक्रेट मैदान पर फुटबॉल खेलने जाने को लेकर मामला आया था। इसका निराकरण करने के लिए जिले के खेल संगठनों के साथ बैठक की जाएगी। उसके बाद ही आगे का निर्णय लिया जाएगा।
संपत उपाध्याय पुलिस अधीक्षक, श्योपुर
स्टेडियम में फुटबॉल खेलने को लेकर बात सामने आई थी उस पर पुलिस अधीक्षक निर्णय कर रहे हैं। जहां तक डीएसओ के व्यवहार को लेकर बात है। इसको संज्ञान में लिया जाएगा।
राकेश कुमार श्रीवास्वत, कलेक्टर, श्योपुर
दादागिरी दिखाते हैं खेल अधिकारी
खेल अधिकारी दादागिरी दिखाकर खेलने से रोकते हैं। वह कहते हैं कि तुम्हारी औकात क्या है जो इस मैदान में घुसकर दिखा दो। अगर उनकी बात का विरोध करते हैं तो पुलिस बुलाकर कार्रवाई की धमकी देते हैं।
सत्येन्द्र पाराशर, फुटबॉल खिलाड़ी
गाली देकर करते हैं खेल अधिकारी बात
मैदान में खेलने वाले खिलाडिय़ों से खेल अधिकारी गाली देकर बात करते हैं। इतना ही खेल अधिकारी मैदान में शराब पीते हैं। मैं नेशनल खिलाड़ी हूं लेकिन यहां खेल की कोई सुविधा नहीं है।
अभिषेक वैष्णव, नेशनल खिलाड़ी, फुटबॉल
मैदान का व्यवसायीकरण करना चाहते हैं खेल अधिकारी
खेल अधिकारी मैदान का व्यवसायीकरण करना चाहते हैं। श्योपुर में नेशनल के कई खिलाड़ी है उनको खेलने से रोका जा रहा है। खेल अधिकारी खिलाडिय़ों से अभद्र व्यवहार करते हैं। कई बालिकाएं इनके व्यवहार के कारण खेलने नहीं आती।
राघवेन्द्र सिंह, फुटबॉल खिलाड़ी
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