scriptखतरनाक मगरमच्छों से भरी नदी पर पढ़ाई की ऐसी ललक कि कंधों पर बैठाकर पार कराते हैं पिता | Struggle story of Mali Basti children of Mewara in Sheopur | Patrika News

खतरनाक मगरमच्छों से भरी नदी पर पढ़ाई की ऐसी ललक कि कंधों पर बैठाकर पार कराते हैं पिता

locationश्योपुरPublished: May 16, 2023 09:05:47 am

Submitted by:

deepak deewan

जान जोखिम में डालकर बच्चों को कंधों पर बैठाकर मगरमच्छ से भरी नदी करते हैं पार, नदी के उस पार है स्कूल, बीच में मगरमच्छ से भरी नदी, जान का खतरा है लेकिन रोज पढ़ने जाना है

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नदी के उस पार है स्कूल, बीच में मगरमच्छ से भरी नदी

श्योपुर। पढ़ाई के प्रति इन बच्चों और उनके परिजनों का जज्बा बेमिसाल है। उनके गांव में स्कूल नहीं है। पास के गांव में स्कूल है पर बीच में एक नदी पड़ती है जोकि खतरनाक मगरमच्छों से भरी है। इसके बाद भी बच्चों की पढ़ाई की ललक कम नहीं हुई, इन बच्चों के पिता जान जोखिम में डालकर अपने कंधों पर बैठाकर स्कूल जाने के लिए उन्हें रोज नदी पार कराते हैं।
श्योपुर में मेवाड़ा पंचायत में माली बस्ती गांव है जहां स्कूल नहीं है। गांव के बच्चों को पढ़ाई के लिए मानपुर जाना पड़ता है जोकि सीप नदी के उसपार है। नदी पर पास में पुल नहीं है जिसके कारण नदी में उतरकर ही इसे पार करना पड़ता है। सीप में मगरमच्छ हैं जिसके कारण छोटे बच्चों की जान पर खतरा बना रहता है। इस खतरे के बावजूद न तो बच्चों की और ही उनके माता पिता की पढ़ाई के लिए ललक कम हुई। अपने छोटे बच्चों को पढ़ाई के लिए स्कूल भेजने के लिए कई पिता रोज कंधों पर बैठाकर उन्हें नदी पार कराते हैं।
हालांकि प्रशासन की अनदेखी इस गांव के लोगों पर बहुत भारी पड़ रही है। नदी पर पुल नहीं होने से केवल स्कूल के लिए ही नहीं, छोटे मोटे काम के लिए भी मगरमच्छ से भरी नदी पार करनी पड़ती है। यहां तक कि गंभीर रूप से बीमार मरीजों को तो खाट पर बैठाकर नदी पार कराना पड़ता है। गर्भवती महिलाओं को भी प्रसव के लिए खाट पर ही बैठाकर नदी पार कराते हैं। ऐसे में अस्पताल पहुंचने से पहले ही कई लोग दम भी तोड़ देते हैं।
यह गांव मुख्यालय से महज 18 किलोमीटर दूर है। करीब 40 परिवारों के 350 लोग यहां बसे हैं लेकिन मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। सबसे बुरी बात यह है कि पढ़ाई के लिए केवल प्राइमरी स्कूल है, आगे की पढ़ाई के लिए छोटे बच्चों को रोज खतरा उठाकर नदी पार करना पड़ता है।
नदी मगरमच्छ और घड़ियालों से भरी है का खतरा बना रहता है। मगरमच्छ कुछ दिनों पहले ही एक युवक को अपना शिकार बना चुके हैं। इसके बावजूद बच्चे जोखिम उठाकर अपने पिता या अन्य परिजनों के कंधों पर बैठकर स्कूल या कोचिंग के लिए जाने को मजबूर हैं।
https://youtu.be/z9oczkOUcrI
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