आक्रोशित तहसीलदार अमिता सिंह ने विगत 9 अगस्त को फेसबुक पर एक लंबी चौड़ी पोस्ट डालकर प्रशासनिक हल्कों में हडक़ंप मचा दिया है। उन्होंने अपनी पोस्ट में शासकीय सेवा में चाटुकारिता और भ्रष्टाचार होने की बात कही और लिखा कि चाटुकारिता से ही जूनियर अफसर और नायब तहसीलदार पद पा जाते हैं।
फेसबुक पर उन्होंने क्या लिखा, ये उनकी व्यक्तिगत अभिव्यक्ति है, इसमें मैं क्या कह सकता हूं। रही बात उनकी निर्वाचन में पदस्थी की तो निर्वाचन काम भी महत्वपूर्ण होता है, इसलिए उनको वहां पदस्थ किया है।
बसंत कुर्रे, कलेक्टर, श्योपुर
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ये लिखा फेसबुक पोस्ट पर
तहसीलदार अमिता सिंह ने पोस्ट में लिखा है, सीसीए रूल की बात करें तो सिर्फ ईमानदार और कार्य के प्रति निष्ठा रखने वालों पर ही यह लागू होता है, चाटुकारों पर नहीं। जिले में पदस्थापना में कोई वरीयता नहीं, सिर्फ चाटुकारी में पारंगतता देखी जाती है। मेरी पदस्थापना जिला श्योपुर में हुई है, यहां सारी 5 तहसील हैं, जिसमें 2 पर तहसीलदार पदस्थ हैं, वो भी दूरस्थ तहसील, जहां कोई आरआई भी उस तहसील के सारे कार्य सम्पादित कर सकता है, वहां तहसीलदार पदस्थ हैं। मुख्यालय पर छोटे साहब तहसीलदार बने बैठे हैं। मुझे निर्वाचन शाखा का प्रभारी बना कर कलेक्टर ऑफिस में बैठा दिया है, जहां कि तहसीलदार का कोई पद ही नहीं है, मेरी समस्या ये हैं, महीना पूरा हो जाने पर मुझे वेतन कहां से मिलेगा। इस व्यवस्था पर बहुत तनाव होता है क्या करें, कोई और रास्ता भी नहीं हैं। नौकरी क्यों की गरज पड़ी तो की..,वाली कहावत चरितार्थ होती है इसलिए चुप हूं।