अलग फर्म बनाकर निकाल लिया पैसा
चैकडेम को जल्द पूरा करने के उद्देश्य से मजदूरों से मजदूरी कराए जाने की बजाय मशीनों का उपयोग कर काम पूरा कर लिया गया। इतना ही नहीं एक अलग फर्म बनाकर पंचायत के नुमाइंदों से साठगांठ कर पैसा भी निकाल लिया गया। काम पूरा होने के बाद सब इंजीनियर द्वारा मूल्यांकन भी किया जाता है, लेकिन उसने भी गड़बड़ी पर ध्यान नहीं दिया। वहीं जनपद पंचायत में काम का भुगतान कर दिया गया। किसी भी कार्य का भुगतान चैक नहीं किया गया। भुगतान किए जाने के दौरान 21 हजार रुपए ज्यादा भुगतान कर दिया गया।
इन पंचायतों में ज्यादा गड़बड़झाला
गसवानी , सहसराम , गोपालपुर , गोहरा , गोहटा , खितरपाल , इकलोद , अगरा , पिपरवास , आरोदा , चिमलवानी , बढौदाकला , सारंगपुर , नेहरखेडा , गांवडी , मैदावली , बैनीपुरा , अर्रोद , चैंटीखेडा , ववनवास , धामिनी , मेवरा , रनावद ,ऊपचा , काठौन , पचनया ,दौर्द सहित पांच दर्जन पंचायतों में सबसे ज्यादा गड़बड़ की जा रही है। यहां न तो नरेगा के अंतर्गत मजदूरों को मजदूरी मिल रही और कागजों में मजदूर काम कर उन्हें भुगतान भी किया जा रहा है।
हर पंचायत में निर्माण कार्य की अलग एजेंसी
वैसे तो हर पंचायत में किसी भी निर्माण कार्य के लिए एक या दो एजेंसी ही काम कर सकती हैं। क्योंकि एक एजेंसी से लोहा यानि सरिया सीमेंट और गिट्टी ले सकते हैं वो भी जीएसटी सहित लेकिन गड़बड़ी के लिए सरपंच सचिव ने हर पंचायत में हर एक निर्माण कार्य की एक अलग एजेंसी खड़ी कर रखी है। ऐसा इसलिए जिससे फर्जी बिल बनाकर भुगतान कर राशि हड़प ली जाए। जानकार बताते हैं कि एक चैकडैम निर्माण कार्य में तीन लाख रुपए ही खर्च हो पाते हैं, लेकिन हर कार्य के लिए एक नई एजेंसी खड़ी कर भुगतान भी बढ़ा दिया जाता है।