बड़ौदा क्षेत्र के ग्राम सिरसौद में रातड़ी नदी परेशानी का सबब बनी हुई है। यहां आबादी बस्ती तो नदी के इस पार है, लेकिन गांव का मुक्तिधाम नदी के उस पार है। यहां सियाराम पुत्र कानाराम मीणा (55) साल का हार्टअटैक आने से निधन हो गया, जिसके बाद उनके अंतिम संस्कार के लिए जब अर्थी ले जाने लगे तो ग्रामीणों को काफी परेशानियां उठानी पड़ी। स्थिति यह रही कि चार के बजाय 10-12 लोगों ने अर्थी को उठाया और जान जोखिम में डालकर नदी में गले-गले पानी में उतरकर उस पार मुक्तिधाम तक ले जाने को मजबूर हुए। वहीं अंतिम संस्कार में शामिल हुए ग्रामीण भी नदी में उतरकर पहुंचे। विशेष बात यह है कि ये रास्ता आधा दर्जन गांवों के आवागमन का भी है, लेकिन यहां पुलिया नहीं होने से 5-6 माह तक स्थिति ऐसी ही रहती है। जबकि ग्रामीण कई बार नदी पर पुलिया निर्माण की मांग कर चुके हैं।
काठौदी में रास्ता भी नहीं और मुक्तिधाम भी नहीं बना
श्योपुर विकासखंड के ग्राम काठौदी के वाशिंदे नारकीय जीवन जी रहे हैं। ग्रामीणों की मांग के बाद भी यहां न तो मुक्तिधाम बन पाया और न तो मुक्तिधामस्थल तक पहुंचने का रास्ता है। सोमवार को भी यहां एक वृद्ध मांगीलाल मीणा (73) साल का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। लेकिन मुक्तिधाम का रास्ता नहीं होने के कारण ग्रामीण उनकी अर्थी को धान के खेतों में भरे घुटनों तक पानी के बीच से होकर ले जाने को मजबूर हुए। वहीं उनकी शवयात्रा में शामिल हुए ग्रामीण भी इसी रास्ते से गुजरे। जिसके कारण ग्रामीणों को काफी परेशानी आई। काठौदी में ये स्थिति पहली बार नहीं बनी बल्कि हर साल बनती है और गत वर्ष भी ऐसी स्थिति सामने आई थी, जिसके बाद अफसरों और जनप्रतिनिधियों ने आश्वासन भी दिया था, लेकिन अभी तक न तो रास्ता बना है और न ही मुक्तिधाम।