कहते है श्योपुर किले के राजा नरसिंह गौड़ प्रतिदिन भगवान राम की प्रतिमा के दर्शन करते थे, तभी भोजन ग्रहण करते थे। यही वजह है कि उन्होंने किले पर एक झरोखा बनवाया था, जहां से वे प्रतिदिन दर्शन करते थे। इतिहासकार कैलाश पाराशर के मुताबिक शहर के किला परिसर स्थित ऐतिहासिक रामजानकी मंदिर का उल्लेख 17वीं शताब्दी से ही है।
हालांकि किले पर शासन करने वाले गौड़ राजा शिवभक्त थे, लेकिन राजा नरसिंह गौड़ भगवान राम के अनन्य भक्त थे। यही वजह है कि उन्होंने 17वीं सदी की शुरुआत में एक टीले पर छोटा मंदिर बनवाया और उसमें भगवान राम की प्रतिमा स्थापित करवाई। काले पत्थर से बनी भगवान राम की इस प्रतिमा की सुंदरता अद्वितीय है।
राममंदिर की मान्यता श्योपुर शहर ही नहीं बल्कि प्रदेश और देशभर के कई श्रद्धालुओं में भी है, यही वजह है कि कई शहरों से श्रद्धालु रामनवमी पर यहां आते हैं और पूजा अर्चना करते हैं। यही नहीं मंदिर के एक कक्ष में हर नवरात्रा में श्रद्धालुओं द्वारा 9 दिन की अखंड ज्योतियां भी प्रज्वलित करवाई जाती हैं।