विशेष बात यह है कि नीमोदा पीर में पीर बाबा की मजार पर जब सालाना उर्स लगता है तो वहां हिंदू धर्म के लोग भी मुस्लिम श्रद्धालुओं का स्वागत सत्कार करते हैं। इस बार ये दो दिवसीय उर्स आज 7 मार्च से लगेगा, जिसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है।
श्योपुर-खातौली मार्ग से लगभग पांच किलोमीटर दूर स्थित ग्राम नीमोदापीर में कई सदियों से एक परिसर के एक हिस्से में शिवालय बना हुआ है तो उसी परिसर के दूसरे हिस्से में एक फकीर बाबा की मजार भी बनी हुई है। लेकिन कभी दोनों धर्मों के श्रद्धालुओं में सांप्रदायिक द्वेष की भावना नहीं आई।
बताया गया है कि अजमेर के ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती लगभग शांति और अमन का संदेश देते हुए अपने अनुयायियों के साथ श्योपुर क्षेत्र में आए और यहां शिवालय के परिसर में रुके थे। हांलाकि ख्वाजा चिश्ती तो चले गए, लेकिन एक फकीर वहीं रह गए और उनके इंतकाल के बाद शिवालय के दूसरे हिस्से में उनकी मजार बनाई। तभी से मजार और शिवालय में एक साथ पूजा अर्चना का दौर चलता है और कभी कोई अड़चन नहीं आई। बताया गया है कि जब अजमेर में ख्वाजा का उर्स भरता है, उसी समय नीमोदा पीर में भी दो दिवसीय उर्स का आयोजन होता है।