जिले के विजयपुर तहसील मुख्यालय पर बीआरजीएफ योजना के तहत एक करोड़ रुपए की लागत से स्टेडियम स्वीकृत हुआ। इसके बाद वर्ष 2011 में नगर के सिद्ध बाबा की पहाड़ी के पास स्टेडियम तैयार कराया गया। लेकिन अभी तक इसका लाभ खिलाडिय़ों को नहीं मिल रहा है। स्थिति यह है कि तत्समय की निर्माण एजेंसी लघु उद्योग निगम ने पैवेलियन मुख्य द्वार और बाउंड्रीवाल बनाई और खेल विभाग को हस्तांतरित कर दिया। लेकिन 9 साल बाद भी खेल विभाग यहां मैदान का समतलीकरण नहीं करा पाया है। यही वजह है कि बीते 9 सालों से स्टेडियम में उबड़-खाबड़ मैदान के बीच यहां वहां उगी कटीली झाडिय़ां परेशानी का सबब बनी हुई है। यही नहीं विभाग की अनदेखी के चलते स्टेडियम की बाउंड्रीवाल जहां जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो गई है तो पैवेलियन के खिडक़ी-दरवाजे टूट चुके हैं।
ग्रामीण क्षेत्र में खेल सुविधाएं विकसित करने के लिए पांच साल पूर्व बीआरजीएफ योजना के अंतर्गत ही जिला प्रशासन द्वारा कराहल तहसील मुख्यालय और ग्राम दांतरदा में 50-50 लाख रुपए की राशि के स्टेडियम स्वीकृत किए। हालांकि इसके बाद ग्रामीण यांत्रिकी सेवा(आरईएस) ने यहां बाउंड्रीवाल आदि सहित कुछ काम भी करवाए, लेकिन दोनों ही जगह ये अधूरे ही पड़े हैं। यहां भी मैदानों का समतलीकरण नहीं हो पाया है, जिसके चलते खिलाडिय़ों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। विशेष बात यह है कि दोनों ही जगह अभी ये मिनी स्टेडियम ख्ेाल विभाग ने हैंडओवर में भी नहीं लिए हैं। यही वजह है कि एक करोड़ रुपए खर्चने के बाद भी दोनों मिनी स्टेडियम अनुपयोगी पड़े हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2013 में श्योपुर में हुए एक कार्यक्रम मेंं बड़ौदा तहसील मुख्यालय के लिए स्टेडियम की घोषणा की। हालांकि इसके बाद शासन ने राशि भी जारी कर दी, लेकिन प्रशासन और खेल विभाग यहां स्टेडियम के लिए उपयुक्त जगह नहीं ढूंढ पाया। हालांकि चंद्रसागर तालाब के पास जगह आरक्षित हुई, लेकिन खेल विभाग के ऑर्किटेक्टों ने उसे अनुपयोगी बता दिया। यही वजह रही कि स्टेडियम का निर्माण अधर में लटक गया। विशेष बात यह है कि अब तो बड़ौदा स्टेडियम के लिए स्वीकृत लगभग 80 लाख रुपए की राशि भी लैप्स हो गई है। जिसके चलते बड़ौदा के खिलाडिय़ों का स्टेडियम का सपना टूट सा गया है।