खास बात यह है कि इस हकीकत को खुद पुलिस विभाग के आंकड़े उजागर कर रहे हैं। इसके बाद भी पुलिस अफसर इस दिशा में कोई गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं। जिससे पुलिस अफसरों की अनदेखी उजागर हो रही है। वहीं चोरों की सक्रियता, पुलिस की सक्रियता पर भारी पड़ती जा रही है। पुलिस विभाग के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो वर्ष 2017 में जिले में वाहन चोरी की 50 घटनाएं घटित हुई है। चोरी होने वाले इन वाहनें में 6 वाहन चार पहिया और 44 वाहन दो पहिया वाहन शामिल थे। वहीं वर्ष 2018 में 49 वाहन चोरी हो गए। जिनमें 46 वाहन तो दो पहिया थे। जबकि 3 वाहन चार पहिया। वर्ष 2019 में वाहन चोरी की घटनाएं 49 से बढकऱ 51 पहुंच गई है। चोरी हुए 51 वाहनों में 7 वाहन तो चार पहिया और 45 वाहन दो पहिया वाहन है।
सीसीटीवी कैमरे भी नहीं रोक पा रहे वाहन चोरी शहर में जहां पुलिस ने कई स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगा रखे है। वहीं राजस्थान की सीमा से जिले की सीमाओं पर भी पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे लगा रखे हंै। चैकिंग की कार्रवाई भी पुलिस समय-समय पर करती है। मगर पुलिस के यह सभी सुरक्षा इंतजाम भी नाकाम साबित हो रहे हंै। क्योंकि इन सुरक्षा इंतजामों के बाद भी वाहन चोरी की घटनाए आए दिन सामने आ रही है। सबसे ज्यादा बाइके चोरी हो रही हैं।
बरामदगी की कार्रवाई भी धीमी वाहन चोरों पर लगाम कसने में नाकाम साबित हो रही पुलिस की वाहन बरामदगी की कार्रवाई भी काफी धीमी है। ऐसा इसलिए कि पुलिस एक साल में जितने वाहन चोरी हो रहे हंै, उनमें से एक चौथाई वाहनों को भी बरामद नहीं पा रही है। जबकि वाहन चोरी की एफआईआर दर्ज करने में पुलिस आनाकानी करती है।
मामले जल्द ट्रेस हों इसके प्रयास करेंगे ऐसा नहीं है, पुलिस वाहन चोरों को लेकर भी पूरी सक्रियता से लगी हुई है। जिस कारण गत वर्ष की तुलना में इस साल चोरी के वाहन बरामद की कार्रवाई बढ़ी है। वाहन चोरी रुक और पेडिंग वहन चोरी के मामले में जल्द ट्रेस हो, इसके लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।
पीएल कुर्वे, एएसपी, श्येपुर