मामला हल्का बासेड गांव में सर्वे क्रमांक 503 व 504 की जमीन का है। यहां गांव दंबग ने वर्ष 1998 में सात बीघा जमीन पर पट्टा कराया था। जिसको लेकर कराहल से पटवारी आरआई की टीम सेसईपुरा थाना बल को लेकर सीमांकन करने पहुंची थी। सीमांकन के विरोध में दशरथ सिंह यादव के साथ तीन दर्जन महिलाएं व बच्चों ने टीम को घेर लिया। विवादित भूमि को लेकर दोनों पक्ष में विवाद हुआ इसके बाद राजस्व व पुलिस टीम बिना सीमांकन किए वापस लौटना पड़ा। जमीन को पहले से जोत रहे दशरथ सिंह यादव जमीन को पुश्तैनी भूमि बताकर तहसीलदार शिवराजसिंह मीणा के सामने हाथ जोड़ कर रो पड़ा। उसने कहा कि अगर सीमांकन हुआ तो दबंग काबिज हो जाएगा। तहसीलदार मीणा बार-बार उसे समझा रहे थे, कि भूमि पर बाबू सिंह यादव के नाम से पट्टा बोल रहा है। अभी जिस के नाम से है वो तो सीमांकन कराएगा। सीमाकंन को लेकर करीब आधा घण्टे तक हंगामा चलता रहा।
22 साल पहले कराया था पट्टा
सर्बे नम्बर 503, 504 पर बाबू सिंह यादव ने 1998 में पट्टा कराया था। सर्वे नम्बर में पट्टा हुआ तब चरनोई की सरकारी जमीन थी, लेकिन 2002 में इस जमीन को क़ाबिल काश्त करा लिया गया। 22 साल बाद सीमांकन कराने की सुध आई। लिहाजा जमीन जोत रहे दशरथ सिंह यादव ने इसका विरोध दर्ज कराया। उसने तहसीलदार को बताया कि हमारे पूर्वजों की ज़मीन ह।ै
22 साल पहले कराया था पट्टा
सर्बे नम्बर 503, 504 पर बाबू सिंह यादव ने 1998 में पट्टा कराया था। सर्वे नम्बर में पट्टा हुआ तब चरनोई की सरकारी जमीन थी, लेकिन 2002 में इस जमीन को क़ाबिल काश्त करा लिया गया। 22 साल बाद सीमांकन कराने की सुध आई। लिहाजा जमीन जोत रहे दशरथ सिंह यादव ने इसका विरोध दर्ज कराया। उसने तहसीलदार को बताया कि हमारे पूर्वजों की ज़मीन ह।ै