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जब श्योपुर के चार निहत्थे नागरिकों पर चला दी पुलिस ने गोली

locationश्योपुरPublished: Feb 22, 2019 10:31:22 am

Submitted by:

jay singh gurjar

जब श्योपुर के चार निहत्थे नागरिकों पर चला दी पुलिस ने गोली44 साल पूर्व 21 फरवरी 1975 को श्योपुर जिला बनाओ आंदोलन को दबाने पुलिस ने चला दी थी गोली, चार लोग हो गए थे शहीद

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जब श्योपुर के चार निहत्थे नागरिकों पर चला दी पुलिस ने गोली

श्योपुर,
भले ही 25 मई 1998 को श्योपुर को जिला बना दिया गया हो, लेकिन जिला बनाने की मांग के लिए ढाई दशक तक एक लंबा आंदोलन भी चला। विशेष बात यह है कि इस जिला बनाओ आंदोलन में चार नागरिक पुलिस की गोली का शिकार हो गए, लेकिन इन चार शहीदों की शहादत को श्योपुर ने भुला दिया। अब ठीक 44 साल हो गए जिला बनाओ आंदोलन के इस गोलीकांड को, लेकिन चारों शहीदों के नाम पर शहर में एक अदद स्मारक भी नहीं है।
बताया जाता है कि ठीक 44 साल पूर्व 21 फरवरी 1975 शुक्रवार के दिन लगभग दोपहर 2 बजे के आसपास प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण तरीके से जिला बनाओ आंदोलन के लिए मार्च निकाल रहे,लेकिन तभी निहत्थे नागरिकों पर मेन बाजार पोस्ट ऑफिस के सामने तत्समय बैंक भवन पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने अंधाधुंध गोलियां चला दी। इस गोलीकांड में जुम्मा खां, वजीर खां, गप्पूलाल हलवाई और मुंशी मोहम्मद हुसैन की गोली लगने से मौत हो गई थी। इस गोलीकांड के बाद प्रदर्शन उग्र हो गया और शहर में कफर््यू लग गया। शहरवासी तीन दिनों तक कफ्र्यू के साए में रहे थे। इस दौरान पुलिस द्वारा किए गए अत्याचार ने अंग्रेजी हुकूमत की याद दिला दी थी। मामला राष्ट्रीयस्तर पर पहुंचा, बावजूद इसके श्योपुर को जिला बनने में 23 साल लगे।
1992 में घोषणा, 1998 में अस्तित्व में आया जिला
बताया गया है कि आंदोलन के बाद वर्ष 1992 में श्येापुर जिला घोषित हुआ, लेकिन वर्ष 1998 कई 25 मई को ये अस्तित्व में आया। निराशाजनक बात यह है कि आंदोलन में शहीद हुए चारों शहीदों को लोगों ने भुला दिया। हालांकि पूर्व में नगरपालिका के ठहराव के बाद शहर के कुछ बाजारों को इन शहीदों के नाम पर करने की बात आई, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
शहीदों की कुर्बानी अविस्मरणीय
44 साल पूर्व श्योपुर में हुए पुलिसिया गोलीकांड व दमनचक्र में शहादत देने वाले चारों शहीदों की कुर्बानी अविस्मरणीय है। तत्समय पुलिस का दमनचक्र शहरवासियों को झेलना पड़ा, मेरे साथ भी घर में घुसकर पुलिस द्वारा मारपीट की गई, बाद में सत्याग्रह कर 8 दिन सेंट्रल जेल ग्वालियर में रहना पड़ा। शहीदों की कुर्बानी के परिणामस्वरूप श्योपुर 1992 में जिला घोषित हुआ और 1998 में जिला बन सका।
कैलाश नारायण गुप्ता
सदस्य, जिला निर्माण आंदोलन समिति श्योपुर
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