बताया गया है कि आंदोलन के बाद वर्ष 1992 में श्येापुर जिला घोषित हुआ, लेकिन वर्ष 1998 कई 25 मई को ये अस्तित्व में आया। निराशाजनक बात यह है कि आंदोलन में शहीद हुए चारों शहीदों को लोगों ने भुला दिया। हालांकि पूर्व में नगरपालिका के ठहराव के बाद शहर के कुछ बाजारों को इन शहीदों के नाम पर करने की बात आई, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
44 साल पूर्व श्योपुर में हुए पुलिसिया गोलीकांड व दमनचक्र में शहादत देने वाले चारों शहीदों की कुर्बानी अविस्मरणीय है। तत्समय पुलिस का दमनचक्र शहरवासियों को झेलना पड़ा, मेरे साथ भी घर में घुसकर पुलिस द्वारा मारपीट की गई, बाद में सत्याग्रह कर 8 दिन सेंट्रल जेल ग्वालियर में रहना पड़ा। शहीदों की कुर्बानी के परिणामस्वरूप श्योपुर 1992 में जिला घोषित हुआ और 1998 में जिला बन सका।
कैलाश नारायण गुप्ता
सदस्य, जिला निर्माण आंदोलन समिति श्योपुर