scriptमहापुरुष की शरणागति के बिना मनुष्य अपने अंदर ईश्वर का दर्शन नहीं कर सकता | Without the refuge of the great man, man cannot see God in himself. | Patrika News

महापुरुष की शरणागति के बिना मनुष्य अपने अंदर ईश्वर का दर्शन नहीं कर सकता

locationश्योपुरPublished: Dec 13, 2019 12:13:08 pm

Submitted by:

Anoop Bhargava

– बड़ौदा के पुलिस मैदान में चल रही कथा का सातवां दिन

महापुरुष की शरणागति के बिना मनुष्य अपने अंदर ईश्वर का दर्शन नहीं कर सकता

महापुरुष की शरणागति के बिना मनुष्य अपने अंदर ईश्वर का दर्शन नहीं कर सकता

श्योपुर/बड़ौदा
पुलिस मैदान में आयोजित सात दिवसीय शिवकथा के सातवें व अंतिम दिन कथावाचक अभेदानंद महराज ने परमात्मा के नित्य, निमित्त व आवेश अवतार की चर्चा की। कहा कि नित्य अवतार लगातार बने रहते हैं और धरा पर आते रहते हैं। जैसे- श्रीरामकृष्ण परमहंस। वहीं निमित्त अवतार एक बड़ी योजना लेकर आते हैं, जैसे प्रभु श्रीराम, श्रीकृष्ण, महात्मा बुद्ध व शंकराचार्य। वे परमात्मा के निमित्त अवतार थे। आवेश अवतार समय-समय पर ही प्रकट होते हैं और अविलंब गायब हो जाते हैं। जैसे- बराह व नरसिंह अवतार। हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को डूबो दिया और वेदों को चुना लिया था, तब भगवान बराह अवतार लेकर उसका वध किया था। हिरनीयकश्यप को मारने के लिए प्रभु ने नरसिंह अवतार लिया और हिरण्यकश्यप का वध किया, यह दोनों आवेश अवतार थे।
कथावाचक ने कहा कि महापुरुष की शरणागति के बिना मनुष्य अपने अंदर में ईश्वर का दर्शन नहीं कर सकता। इंसान निकलता तो है भगवान की खोज में, लेकिन रास्ते में आ जाते हैं गुरु। ध्रुव प्रहलाद निकले ईश्वर की खोज में उनके जीवन में गुरु देव ऋषि नारद, विवेकानंद को रामकृष्ण परमहंस, मीराबाई कृष्ण की भक्ति प्राप्त करने के लिए संत रविदास की शरणागत हुई, नामदेव जिसने 72 बार भगवान के खुली आंखों से दर्शन किए थे, उनके जीवन में गुरु थे विशोभा खीचड़। अभेदानंद ने कहा कि जीवन में गुरु ही मानवीय नौका को भव पार करता है। पार्वती से कहा हे पार्वती कोई कितनी मेरी पूजा कर ले या विष्णु की पूजा कर ले गुरु ज्ञान के बिना सब अधूरा है, हे पार्वती झूठे गुरुओं से बचना चाहिए जो असत्य भाषण करते हैं, जो स्वयं अशांत हैं।
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