कथावाचक ने कहा कि महापुरुष की शरणागति के बिना मनुष्य अपने अंदर में ईश्वर का दर्शन नहीं कर सकता। इंसान निकलता तो है भगवान की खोज में, लेकिन रास्ते में आ जाते हैं गुरु। ध्रुव प्रहलाद निकले ईश्वर की खोज में उनके जीवन में गुरु देव ऋषि नारद, विवेकानंद को रामकृष्ण परमहंस, मीराबाई कृष्ण की भक्ति प्राप्त करने के लिए संत रविदास की शरणागत हुई, नामदेव जिसने 72 बार भगवान के खुली आंखों से दर्शन किए थे, उनके जीवन में गुरु थे विशोभा खीचड़। अभेदानंद ने कहा कि जीवन में गुरु ही मानवीय नौका को भव पार करता है। पार्वती से कहा हे पार्वती कोई कितनी मेरी पूजा कर ले या विष्णु की पूजा कर ले गुरु ज्ञान के बिना सब अधूरा है, हे पार्वती झूठे गुरुओं से बचना चाहिए जो असत्य भाषण करते हैं, जो स्वयं अशांत हैं।