बताया जाता है कि जाटखेड़ा का पार्वती माता मंदिर करीब 300 साल पुराना है। मंदिर में कुल 20 सीढिय़ां हैं। 17 सीढिय़ों तक तो महिलाओं को जाने की अनुमति है लेकिन जैसे ही 18वीं सीढ़ी शुरू होती है वहीं लाल अक्षरों में यह चेतावनी लिखी हुई है कि यहां से आगे महिला व युवतियां नहीं जाएं। इन तीन सीढिय़ों के बाद करीब 20 बाई 20 फीट चौड़े चबूतरे पर पार्वती माता की सदियों पुरानी मूर्तियां हैं। महिला व युवतियों को इस चबूतरे से करीब 11 फीट दूर रहने की हिदायत है। जाटखेड़ा सहित आसपास के गांव की महिला व बालिकाएं इस बात को अच्छी तरह जानती हैं। इसलिए वह 17 सीढिय़ां भी नहीं चढ़तीं। मंदिर के नीचे से जहां प्रवेश द्वार है, वहीं अगरबत्ती, दीपक लगाकर ढोक देती हैं। प्रत्येक सोमवार को इस मंदिर पर सैकड़ों श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचते है
पुजारी भवानी शंकर के अनुसार महिलाओं के माहवारी के समय वह महीने में पांच दिन अशुद्ध रहती हैं। ऐसी स्थिति में महिला मंदिर पर न आ जाए, इसलिए ये प्रतिबंध लगाया गया है। पुजारी के अनुसार दर्शनों से पहले यह बात किसी महिला से पूछ भी नहीं सकते। इसलिए पुराने समय से ही यह नियम बना दिया गया कि महिलाओं को मंदिर से तीन सीढ़ी दूर रखा जाए।
जाटखेडा गांव के मां पार्वती मदिर पर आखिरी सीढिय़ां चढऩे को लेकर लगाई गई पाबंदियों को लेकर कई कहानियां हैं। उन्हें मंदिर के पुजारी की माने तो एक साल पहले एक महिला काली साड़ी पहनकर मंदिर में ऊपर तक चली गई, उसके साथ आया युवक भी शराब पीए था। जैसे ही ये दोनों ऊपर चबूतरे पर पहुंचे, वहां अचानक से मधुमख्खियों का झुंड आ गया। उन दोनों पर ऐसा धावा बोला कि कुछ ही देर बाद उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा। पुजारी के अनुसार कुछ दिन पहले ही ऐसी स्थिति फिर बनी जब एक महिला के मंदिर के ऊपर पहुंचने पर मधुमक्खियों का झुंड आ गया, लेकिन महिला जैसे ही नीचे आई मधुमक्खियां शांत होकर लौट गई।