scriptअखंड सुहाग की कामना के साथ महिलाओं ने पूजी गणगौर | Women worshiped Gangaur with the wish of unbroken happiness | Patrika News

अखंड सुहाग की कामना के साथ महिलाओं ने पूजी गणगौर

locationश्योपुरPublished: Mar 27, 2020 08:11:40 pm

Submitted by:

jay singh gurjar

कौरोना के खौफ के बीच पहली बार महिलाओं ने घर पर ही की पूजा, परंपरागत पूजास्थल रहे सूने

अखंड सुहाग की कामना के साथ महिलाओं ने पूजी गणगौर

अखंड सुहाग की कामना के साथ महिलाओं ने पूजी गणगौर

श्योपुर,
राजस्थानी संस्कृति में रचे बसे श्योपुर जिले में शुक्रवार को गणगौर पर्व महिलाओं द्वारा श्रद्घा और उमंग के साथ मनाया गया। गणगौर पर्व पर इस बार विशेष बात यह रही कि मंदिरों के परंपरागत पूजा स्थलों के बजाय महिलाओं ने घरों पर ही पूजा की और अखंड सुहाग की कामना की।
कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते देशव्यापी लॉकडाउन के कारण इस बार परंपरागत पूजा स्थल सूने रहे और महिलाओं ने ही अपनी परंपरानुसार घरों पर ही गौर गौर गोमती ईसर पूजे पार्वती…, रानी पूजे राजा ने, म्हें पूजां म्हाकां सुहाग ने… जैसे परंपरागत गीतों के बीच पूजा अर्चना की। इस दौरान महिलाओं ने ईसर-पार्वती की युगल प्रतिमाओं के समक्ष कोरोना महामारी को दूर भगाने की भी मन्नत मांगी। शुक्रवार को गणगौर पर्व के अवसर पर महिलाओं ने अपने घरों पर मिट्टी, बेसन आदि से ईसर एवं पार्वती की युगल प्रतिमाएं बनाई और उन्हें श्रंगारित किया। इसके बाद महिलाओं ने पारंपरिक गीतों के बीच पूजा-अर्चना करते हुए विवाहिताओं ने अखंड सुहाग और कुंवारी कन्याओं ने इच्छित वर की कामना की।

400 साल में पहली बार नहीं लगा गणगौर मेला
कोरोना के लॉकडाउन के चलते श्योपुर का ऐतिहासिक गणगौर मेला 400 साल में पहली बार आयोजित नहीं हो पाया। गणगौर से तीन दिनों तक लगने वाले इस मेले की शुरुआत 400 साल पूर्व गौड़ राजाओं के समय हुई थी। तत्समय मेले का आयेाजन किले में होता था और गुरुमहल के नीचे की ओर स्थित बाजार में गणगौर की सवारियां रखी जाती थी, जहां राजा स्वयं आकर बैठते थे। बाद में सिंधिया रियासत के दौरान गणगौर की सवारियां किले के नीचे बैठने लगी और फिर यहां सूबात कचहरी(वर्तमान में भी यहीं) पर ये मेला आयोजित किए जाने लगा। लेकिन इस बार मेला स्थगित करना पड़ा है।
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