कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह जहां अपने परिवार सहित कोरोना पॉजीटिव होने के बाद अपना उपचार करवा रहे हैं, वहीं उनके बंगले व ऑफिस सहित अन्य सरकारी कार्यालयों में भी कई कर्मचारी जांच में पॉजीटिव आने से उन दफ्तरों में सन्नाटा पसर रहा है। उधर पुलिस के मुखिया यानि पुलिस अधीक्षक सहित शिवपुरी व कोलारस एसडीओपी, बदरवास व कोलारस टीआई सहित अन्य पुलिस थानों में पदस्थ पुलिसकर्मी भी कोरेाना पॉजीटिव होने के बाद क्वारंटीन हैं तथा उनके परिवार चिंतित हैं। सितंबर माह में कोरोना अधिक आक्रमक होने के साथ ही अब जान लेने पर आमादा हो गया है, जिसके चलते अब लोगों में कोरेाना का डर भी महसूस होने लगा।
एक तरफ जहां जिले में कोरोना corona मरीजोंं की संख्या तेजी से बढऩे एवं पहचान में हो रही देरी के चलते संक्रमित से जाने-अनजाने में स्वस्थ लोग टच होकर इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं, वहीं अब कोरोना से मौतों का आंकड़ा बढऩे से मुक्तिधाम पर भी संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। चूंकि पॉजीटिव मरीज का शव परिवारजनों को न देकर नपा कर्मचारी पीपीई किट से लैस होकर मुक्तिधाम ले जाते हैं और उसका अंतिम संस्कार करवाते हैं। पिछले दिनों जहां मुक्तिधाम पर यूं ही पीपीई किट फेंक कर लापरवाही बरतने का मामला तूल पकड़ा था। वहीं शुक्रवार को भी जब मुक्तिधाम में कोरोना मरीजों के शव लेकर नपा टीम पहुंची तो वहां पहले से दो शवों का अंतिम संस्कार हो रहा था। ऐेसे में बिना इंतजार किए टीम ने दोनों शवों का अंतिम संस्कार कर दिया, जिससे सामान्य रूप से हुई मौत के बाद शवयात्रा में शामिल हुए लोगों को यह डर सताने लगा कि कहीं कोरोना पॉजीटिव मरीजों के अंतिम संस्कार से उनका संक्रमण हमें न हो जाए।
शिवपुरी में सबसे पहला कोरोना corona मरीज 24 मार्च को मिला, यानि इस दिन से कोरोना की जिले में एंट्री हुई। इसके दो दिन बाद खनियांधाना में दूसरा कोरोना पॉजीटिव मरीज चिह्नित हुआ। उसके बाद अप्रैल व मई माह में कोई भी कोरोना पॉजीटिव मरीज चिह्नित नहीं हुआ, यानि जिले में 61 दिन तक कोई नया मरीज नहीं मिला, लेकिन उसके बाद के 108 दिनों में न केवल कोरोना पॉजीटिव मरीजों की संख्या 2025 तक पहुंच गई, बल्कि इस बीमारी ने 21 लोगों की जान भी ले ली। इनमें सबसे अधिक खतरनाक सितंबर माह है, जिसमें शुरू हुआ मौतों का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा।