scriptतीन साल में पॉक्सो के दर्ज 390 मामले, छह मामलों में लगी एफआर | 390 cases of Poxo filed in three years, FR in six cases | Patrika News

तीन साल में पॉक्सो के दर्ज 390 मामले, छह मामलों में लगी एफआर

locationशिवपुरीPublished: Dec 10, 2019 10:38:45 pm

Submitted by:

Rakesh shukla

सुनवाई प्रक्रिया की धीमी गति से कमजोर हो रहा फरियादी पक्ष
 

तीन साल में पॉक्सो के दर्ज 390 मामले, छह मामलों में लगी एफआर

तीन साल में पॉक्सो के दर्ज 390 मामले, छह मामलों में लगी एफआर

शिवपुरी. नाबालिग लड़कियों के साथ होने वाले दुष्कर्म व छेड़छाड़ के मामलों में कमी लाने के लिए भले ही पॉक्सो एक्ट की कठोर धाराएं बना दी गईं, लेकिन न्याय की प्रक्रिया धीमी होने से इस तरह के मामलों में कमी नहीं आ रही। शिवपुरी जिले में पॉक्सो एक्ट के तहत तीन साल में 390 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 6 प्रकरणों में एफआर लग गई। जांच के नाम पर लटकाए जा रहे मामलों में हो रही देरी के चलते आरोपी पक्ष को इतना समय मिल जाता है कि वो फरियादी पक्ष पर किसी तरह से अपना दवाब बना सके।

गौरतलब है कि निर्भया कांड के बाद देश में पॉक्सो एक्ट का कानून बनाया गया। जिसमें नाबालिग बालिकाओं से दुष्कर्म व छेड़छाड़ के मामलों में पुलिस प्रकरण दर्ज करने के बाद आरोपी की गिरफ्तारी कर उसके खिलाफ जल्द से जल्द चालान पेश किया जाता है। शुरुआती दौर में तो पॉक्सो एक्ट के कुछ मामलों में चंद दिनों में ही फैसला कर दिया गया, लेकिन शिवपुरी जिले में इस तरह के मामलों में जांच एवं चालान की प्रक्रिया धीमी होने की वजह से लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। शिवपुरी जिले में पिछले तीन सालों में कुल 390 प्रकरण दर्ज किए गए, लेकिन इनमें से छह प्रकरणों में एफआर व ईआर लगा दी गई। यानि पहले पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया और फिर बाद में इन मामलों में खात्मा रिपोर्ट लगा दी गई। हालांकि एडवोकेट का कहना है कि इस मामले में साक्ष्य के अभाव में कई बार एफआर व ईआर लगा देती है, लेकिन केस का खात्मा न्यायालय से ही होता है।
तीन साल में पॉक्सो एक्ट के आंकड़े
– वर्ष 2016 : धारा 376 के 49 तथा 354 के 78 मामले पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किए गए। इनमें से 1 मामले में एफआर लगा दी गई।
– वर्ष 2017: धारा 376 के 52 पॉक्सो एक्ट के प्रकरण दर्ज किए गए, जिनमें से 2 में एफआर लगी है। धारा 354 के 53 मामले पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किए गए। इनमें से 2 मामले में एफआर लगा दी गई।
– वर्ष 2018 : धारा 376 के 35 पॉक्सो एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किए गए, उनमें एक में ईआर लगा दी गई। धारा 354 के 44 मामले पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किए गए।
– वर्ष 2019: धारा 376 के 30 तथा 354 के 49 मामले पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किए गए।
अभी हाल ही में हुई 21 साल की सजा
पुलिस द्वारा न्यायालय में चालान पेश करने के बाद इन मामलों में सुनवाई जल्दी हो जाती है। अभी हाल ही में पॉक्सो एक्ट के मामले में न्यायालय ने आरोपी को 21 साल की सजा सुनाई है। इससे पूर्व भी पॉक्सो एक्ट के मामलों में न्यायालय ने सजा दी है, लेकिन 21 साल की सजा जिले में अभी तक की सबसे अधिक सजा है।
पॉक्सो एक्ट बनने के बाद इसका कई बार दुरुपयोग भी किया जाता है, लेकिन जब पुलिस जांच करती है तो कई बार साक्ष्य नहीं मिल पाते, जिसके चलते एफआर व ईआर पुलिस लगा देती है। इन मामलों का खत्मा न्यायालय में ही होता है।
विजय तिवारी, एडवोकेट शिवपुरी
कई मामलों में जांच के दौरान वो सब नहीं मिलता, जैसा प्रारंभिक रिपार्ट में लिखाया जाता है। पुलिस अपनी जांच रिपोर्ट तैयार करती है, तो उसमें साक्ष्य आदि को भी देखा जाता है। चूंकि मामले पुराने हैं, इसलिए बिना केस देखे नहीं बता सकते।
राजेश सिंह चंदेल, एसपी शिवपुरी
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