आरटीआइ की 600 अपील आयुक्त के दफ्तर में लंबित
बोले सूचना आयुक्त : स्टाफ की बेहद कमी, केवल दो कर्मचारी हमारे पास

शिवपुरी. सूचना का अधिकार अधिनियम भले ही भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने तथा कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए बनाया गया, लेकिन इसमें भी असुनवाई के चलते लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। राज्य सूचना आयुक्त के दफ्तर में ही ऐसे 600 मामले लंबित हैं, जिनमें विभिन्न विभागों के जिम्मेदारों ने जानकारी नहीं दी। राज्य सूचना आयुक्त का कहना है कि लंबित प्रकरण इसलिए अधिक हैं, क्योंकि स्टाफ की बेहद कमी है तथा हम केवल दो कर्मचारियों के सहारे पेंडेंसी निपटा रहे हैं।
गांधी पार्क में स्थित सिटी लाइब्रेरी में गुरुवार को सूचना आयुक्त राहुल सिंह एक कार्यशाला में शामिल होने पहुंचे। जहां उन्होंने आरटीआइ के महत्व को बताते हुए कहा कि इस अधिनियम के बाद विभिन्न विभाग अधिक गड़बड़ी इसलिए नहीं कर पा रहे, क्योंकि उन्हें पता है कि उनसे कोई भी कभी भी सवाल कर सकता है और उनसे जानकारी मांग सकता है। उन्होंने कहा कि यदि आप आरटीआइ लगा रहे हैं तो संंबंधित विभाग के जिम्मेदार अधिकारी या कर्मचारी से पावती जरूर लें, क्योंकि यह पूरी लड़ाई कागज पर लड़ी जाती है। राहुल सिंह से जब पूछा कि ऐसे कितने मामले हैं जिनमें विभिन्न अपील अधिकारियों से जानकारी न मिलने के बाद आपके पास वे मामले पहुंचे हैं। इस पर उनका कहना था कि हमारे पास लगभग 600 मामले पेंडिंग हैं, जबकि इससे पूर्व तो 15 हजार तक पेंडिंग हो गए थे। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में सूचना आयुक्त के पास 18 से 19 लोगों का स्टाफ है, जबकि हमारे पास केवल दो लोग ही हैं। हम एडवोकेट अभय जैन व उनकी टीम के साथियों का भी सहयोग ले रहे हैं। जब आयुक्त से पूछा कि आरटीआइ अधिनियम को बने हुए बहुत समय हो गया, क्या इसके लागू होने से प्रदेश में भ्रष्टाचार में कमी या कार्यों में कितने प्रतिशत पारदॢशता आई है? इस पर आयुक्त ने कहा कि आरटीआइ से मिली जानकारी के आधार पर अभी तक कई स्कैंडल सामने आए हैं। समय-समय पर इसके माध्यम से निकली जानकारियों के आधार पर कई घोटाले भी उजागर हुए हैं।
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