जानकारी के अनुसार जनता कफ्र्यू आदेश के क्रम में 22 मार्च को जब आंगनबाडिय़ां 31 मार्च तक बंद हुई थीं, तब सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को आदेश दिया गया था कि बच्चों और गर्भवती व धात्री महिलओं को टीएचआर के पैकेट दिए जाएं, क्योंकि इस दौरान केंद्रों पर कोई पोषण आहार वितरित नहीं किया जाएगा। जब पत्रिका को इस बात की भनक लगी कि टीएचआर सिर्फ कागजों में ही वितरित किया गया है तो मामले की पड़ताल की गई। इस दौरान पता लगा कि पिछले दो माह से विभाग के पास टीएचआर था ही नहीं, ऐसे में टीएचआर बंटता कहां से? लॉक डाउन के दौरान जब प्रधानमंत्री ने 14 अप्रैल तक के लिए सब कुछ बंद कर दिया तो महिला एवं बाल विकास विभाग ने अब आनन-फानन में टीएचआर का प्रबंध कर मंगलवार को आंगनबाडिय़ों पर रखवाया है और कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए हैं कि वह घर-घर जाकर इन टीएचआर के पैकेट्स को वितरित करें।
जब पत्रिका को इस बात की जानकारी लगी तो कई क्षेत्रों में जाकर हालातों को समझने का प्रयास किया। इस दौरान पता लगा कि बहुत से क्षेत्रों में तो, आज कार्यकर्ताओं ने टीएचआर घर-घर जाकर बांटा है और बहुत से क्षेत्रों में अभी नहीं बंटा है। कई आंगनबाडिय़ों पर अभी यह टीएचआर पहुंचा ही नहीं है।