हुआ यह कि बीते मार्च माह में कोलारस विधानसभा क्षेत्र की कंट्रोल दुकानों से गरीबों को बंटने के लिए 200 क्विंटल चना आवंटित तो हुआ, लेकिन वो गरीबों तक पहुंचने की जगह बाजार में बेच दिया गया। 10 लाख रुपए कीमत के चने का घोटाला उजागर होने के बाद भी जिला खाद्य अधिकारी व कोलारस के फूड इंस्पेक्टर सूची तैयार करने के बहाने बनाकर मामले से पल्ला झाड़ते रहे। जब प्रशासनिक स्तर पर कोई कार्रवाई खाद्यान्न की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ नहीं हुई, तो फिर इस संबंध में कोलारस विधायक वीरेंद्र रघुवंशी से इस संबंध में चर्चा की। क्योंकि विधायक हर बार यह दावा करते हैं कि मैं अपने क्षेत्र के लोगों के खिलाफ शोषण नहंीं होने दूंगा।
विधायक वीरेंद्र रघुवंशी से यह हुई बातचीत सवाल : आपके यहां रसद माफिया पूरी तरह से हावी है? 200 क्विंटल चना आया लेकिन नहीं बंटा? जवाब- मैं तो पिछले एक साल से रसद माफिया के खिलाफ इतना सक्रिय हूं कि मेरी तीन-चार बार सीएम साहब तक से बात हो चुकी है।
सवाल: 200 क्विंटल चना घोटाले में क्या करने वाले हैं? जवाब- चना कांड की मैं पूरी जांच करवाऊंगा तथा तीन-चार दुकानों पर मैं स्वंय भी जाकर जांच करूंगा। जो भी दोषी होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा। मैं तो लगातार राशन की कालाबाजारी के मुद्दे उठा रहा हूं।
सवाल : ऐसी क्या वजह है कि रसद माफिया पर अंकुश नहीं लग पा रहा?
जवाब- दिक्कत यह है कि हमारी पार्टी की आधी टीम व आधे जनप्रतिनिधि यही धंधा कर रहे हैं। नवनियुक्त टीम वाले इन्हें संरक्षण देते हैं, जब कार्रवाई की कहता हूं तो वे उनके लिए फोन करते हैं। मेरी विधानसभा की दो साल से कुछ अजीब सी स्थिति बन गई है। मेरे विधानसभा क्षेत्र में 142 कंट्रोल की दुकान हैं, सभी जगह के लोग तो संपर्क नहीं कर पाते हैं, इसलिए वहां रसद माफिया के साथ मिलकर हमारे जनप्रतिनिधि ही लूट रहे हैं।
जवाब- दिक्कत यह है कि हमारी पार्टी की आधी टीम व आधे जनप्रतिनिधि यही धंधा कर रहे हैं। नवनियुक्त टीम वाले इन्हें संरक्षण देते हैं, जब कार्रवाई की कहता हूं तो वे उनके लिए फोन करते हैं। मेरी विधानसभा की दो साल से कुछ अजीब सी स्थिति बन गई है। मेरे विधानसभा क्षेत्र में 142 कंट्रोल की दुकान हैं, सभी जगह के लोग तो संपर्क नहीं कर पाते हैं, इसलिए वहां रसद माफिया के साथ मिलकर हमारे जनप्रतिनिधि ही लूट रहे हैं।