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भाजपा की साख का सवाल

locationशिवपुरीPublished: Sep 05, 2018 10:49:33 pm

Submitted by:

Rakesh shukla

कांग्रेस, आम आदमी पार्टी टक्कर देने की तैयारी में
 

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भाजपा की साख का सवाल

शिवपुरी. जिले की पांच विधानसभा में वर्तमान में 3 पर कांग्रेस है, जबकि दो सीटें भाजपा के पास हैं। शिवपुरी विधानसभा भाजपा का गढ़ मानी जाती है। चार बार से यहां भाजपा के ही विधायक चुने जा रहे हैं। उधर, पोहरी की जनता पहले हर बार परिणाम बदलती रही है, लेकिन पिछले चुनाव में उसने भाजपा को दोबारा जीत दिलाई। शिवपुरी सीट पर लंबे समय से कैबीनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया का दबदबा रहा है। दोनों सीटों पर कांग्रेस ने भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। शिवपुरी में जहां कांग्रेस के सामने प्रत्याशी का चयन मुश्किल चुनौती रहेगी, वहीं पोहरी में भी उसे इससे जूझना होगा। एससीएसटी एक्ट में संशोधन के मसले पर सपाक्स की सक्रियता भी दोनों दलों के लिए खतरा मानी जा रही है। दोनों सीटें भाजपा के लिए साख का सवाल हैं।
शिवपुरी : कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती
शिवपुरी विधानसभा में भाजपा व कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी सेंध लगाने में जुटी है। दो बार विधायक व मंत्री रहीं यशोधरा राजे ने एक बार अपने समर्थक को जिताया था। यशोधरा राजे लगातार क्षेत्र में भ्रमण कर रही हैं। कांग्रेस के सामने दमदार प्रत्याशी उतारने की चुनौती होगी। यहां २.10 लाख मतदाता हैं।
२०१३ के वोट
भाजपा
यशोधरा राजे
74471

कांग्रेस
वीरेंद्र रघुवंशी
64271

ये हैं चार मुद्दे
मुख्य बाजार कोर्ट रोड व हाइवे जर्जर, अतिक्रमण, अव्यवस्थित शहर विकास।

भाजपा के मजबूत दावेदार
यशोधरा राजे सिंधिया- विधायक व कैबिनेट मंत्री मप्र शासन
वीरेंद्र रघुवंशी- संगठन में मजबूत पकड़।
कांग्रेस के मजबूत दावेदार
राकेश गुप्ता- पूर्व शहर कांग्रेस अध्यक्ष, नगर सेठ
सिद्धार्थ लढ़ा – शहर कांग्रेस अध्यक्ष, नगर सेठ

जातिगत समीकरण
ब्राह्मण, मुस्लिम, वैश्य व अल्पसंख्यक वोट ज्यादा हैं। कर्मचारी भी बड़ा फैक्टर हैं। इनमें एससी-एसटी एक्ट में बदलाव को लेकर सपाक्स भी तैयारी में है।
चुनौतियां
मुख्य बाजार कोर्ट रोड व जर्जर हाइवे रोड
यदि यशोधरा चुनाव लड़ीं तो कांग्रेस को दमदार प्रत्याशी ढूंढना मुश्किल होगा।

विधायक की परफॉर्मेंस
सीवर प्रोजेक्ट में खुदी पीडब्ल्यूडी की सडक़ें बनवाईं। जलावर्धन को जीवित करने का प्रयास किया। क्षेत्र में सतत जनसंपर्क। हालांकि, यहां पानी की किल्लत कायम है।
विधायक स्थानीय न होने से जनता को छोटे-छोटे कामों के लिए दफ्तरों में भटकना पड़ता है।
-अभिनंदन जैन, सोशल वर्कर

पोहरी : तीसरी पारी या नया चेहरा?
य हां प्रहलाद भारती से पहले यह माना जाता था कि इस सीट से कोई दूसरी बार चुनाव नहीं जीतता भारती ने यह मिथक तोड़ा। इस बार भी वे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। कांग्रेस के नेता आपस में ही ताल ठोक रहे हैं। पार्टी के सामने चुनौती आपसी खींचतान को काबू में कर तय किए गए उम्मीदवार के लिए एका बनाना होगी।
2013 के वोट
भाजपा
प्रहलाद भारती
53063

कांग्रेस
हरिवल्लभ शुक्ला
49443

ये हैं चार मुद्दे
ट्रायवल एरिया होने से कुपोषण की भयावहता। जल संरचनाएं न होने से जल संकट बड़ी समस्या।


भाजपा के मजबूत दावेदार
प्रहलाद भारती- वर्तमान विधायक
गुलाब सिंह किरार- किरार समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष
नरेंद्र बिरथरे- पूर्व विधायक
कांग्रेस के मजबूत दावेदार
प्रद्युम्र वर्मा- जप अध्यक्ष पोहरी
सुरेश राठखेड़ा – पूर्व ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष।

ये भी ठोक रहे ताल
हरिवल्लभ शुक्ला – पूर्व विधायक पोहरी
एनपी शर्मा- पूर्व मंडी अध्यक्ष शिवपुरी

जातीय समीकरण
धाकड़ (किरार), ब्राह्मण, कुशवाह और आदिवासी वोटर ज्यादा हैं। प्रहलाद भारती किरार वोटर के भरोसे हैं, जबकि प्रद्युम्र व सुरेश की भी इस वर्ग में विशेष पकड़ है।
चुनौतियां
जातिवाद के चलते दूसरे वर्ग के लोगों का विरोध
लंबे समय से कांग्रेस के न जीतने से मजबूत प्रत्याशी की तलाश पहली चुनौती।

विधायक की परफॉर्मेंस
स्वास्थ्य, शिक्षा व सडक़-बिजली के क्षेत्र में सक्रियता दिखाई। पानी की व्यवस्था के भी प्रयास किए।
पोहरी में विकास तो हुए, लेकिन जातिवाद में बंट जाने से भाजपा सचेत रहे, कांग्रेस दमदार प्रत्याशी उतारे।
– आकाश जैन, युवा वोटर

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