ग्रामीण मुआवजा लेने के बाद भी कर रहे खेती
माधव नेशनल पार्क में आधा दर्जन गांव अभी भी ऐसे हैं, जिनमें रहने वाले ग्रामीणजन मुआवजा लेने के बाद भी पार्क सीमा के अंदर खेती करके मुनाफा कमा रहे हैं। जबकि इन ग्रामीणो को वर्ष 2008 में ही तत्समय चल रही जमीन की कीमत से 35 प्रतिशत अधिक रेट का मुआवजा दिया गया था। चूंकि इनमें से कुछ ग्रामीणों ने मुआवजा लेने से मना करते हुए पार्क को न छोडक़र वहीं पर खेती करते रहे। जब वो ग्रामीण पार्क छोडक़र नहीं गए तो जिन लोगों ने मुआवजा ले लिया था, वो भी गांव में अपनी पुरानी जमीन पर ही फसल का उत्पादन करके मुनाफा कमाते रहे। ऐसे ग्रामीणों की संख्या अधिक है, जो 12 साल पहले मुआवजा लेने के बाद भी पार्क के अंदर खेती करके फसल के दाम भी वसूलते रहे। अब जबकि शिवपुरी नेशनल पार्क में टाइगर लाने की कवायद की जा रही है, इसलिए मुआवजा लेकर बरसों से कब्जा करके बेठे इन ग्रामीणें के बाहर करने के लिए अब सख्ती हो सकती है।
माधव नेशनल पार्क के अंदर 5 गांव मामोनी बर्दखेड़ी, चक ढोंगर, लखनगंवा, अर्जुनगंवा, हरनगर में कुल 468 परिवार निवास करते हैं, जिनमें से महज 75 ने अभी तक मुआवजा नहीं लिया है। इनमें जो आदिवासी परिवार निवास करते थे, वे तो मुआवजा लेकर गांव छोडक़र दूसरी जगह विस्थापित हो गए, लेकिन दूसरे वर्ग के लोग कोई न कोई बहाना बनाकर वहीं पर खेती करने रुक गए। इनमें से चकढोंगर व हरनगर गांव तो पार्क के बाहर बसे हैं, लेकिन उनकी खेती की जमीन नेशनल पार्क के अंदर है।
माधव नेशनल पार्क में टाइगर की आमद के साथ ही विदेशी सैलानियों के साथ हमारे देश के पर्यटक भी शिवपुरी की ओर रुख करेंगे। क्योंकि उन्हें टाइगर को देखना अच्छा लगता है। बरसों से रूठे पर्यटक ने यदि फिर से शिवपुरी की ओर रुख किया तो शिवपुरी में भी टूरिज्म को बढ़ावा मिलने के साथ ही लोगों को रोजगार भी मिलेगा तथा यहां अक्सर खाली रहने वाले होटल भी सैलानियों से भरे रहा करेंगे।
एच-टाइप है नेशनल पार्क
05 गांव के 468 परिवार निवास करते थे पार्क के अंदर
2008 में बांटा गया मुआवजा 75 परिवार ने नहीं लिया।
393 परिवार मुआवजा लेकर भी पार्क में खेती कर रहे हैं।
दो माह पूर्व हम भी पार्क के अंदर बसे गांव में लोगों को समझाने और उन्हें पार्क से बाहर जाने की बात कहने गए थे। पार्क प्रबंधन के पास राशि भी है और वो जमीन राजस्व से नेशनल पार्क को ट्रांसफर भी हो गई। इसलिए अब पार्क खाली कराना कठिन काम नहीं है, जल्द करवा लेंगे।