script

नेशनल पार्क में टाइगर लाने से पहले इंसानों से खाली कराना चुनौती

locationशिवपुरीPublished: Aug 29, 2021 10:40:37 pm

Submitted by:

rishi jaiswal

कलेक्टर-एसपी सहित पार्क प्रबंधन में गांव में लगाई थी चौपाल, नहीं आए सार्थक परिणाम
टाइगर की सुरक्षा के लिए जरूरी होगा, इंसानविहीन जंगल, कवायद जारी

नेशनल पार्क में टाइगर लाने से पहले इंसानों से खाली कराना चुनौती

नेशनल पार्क में टाइगर लाने से पहले इंसानों से खाली कराना चुनौती

शिवपुरी। माधव नेशनल पार्क में टाइगर लाने की कवायद जोर पकड़ती जा रही है तथा उसके लिए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री से मुलाकात कर चुके हैं। टाइगर को नेशनल पार्क में बसाने से पहले उसे इंसानों से खाली कराना बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। पिछले दिनों कलेक्टर व एसपी सहित माधव राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारी-कर्मचारियों ने नेशनल पार्क के अंदर स्थित ग्रामों में रहने वाले लोगों की बात सुनने के लिए गांव-गांव में चौपाल लगाई, लेकिन दो माह बाद भी उसके कोई सार्थक परिणाम अभी तक सामने नहीं आ सके। क्योंकि टाइगर की सुरक्षा को देखते हुए जंगल को पहले इंसानविहीन करना होगा, तब कहीं जाकर उसमें जंगल के राजा को बसाया जा सकेगा।

ग्रामीण मुआवजा लेने के बाद भी कर रहे खेती
माधव नेशनल पार्क में आधा दर्जन गांव अभी भी ऐसे हैं, जिनमें रहने वाले ग्रामीणजन मुआवजा लेने के बाद भी पार्क सीमा के अंदर खेती करके मुनाफा कमा रहे हैं। जबकि इन ग्रामीणो को वर्ष 2008 में ही तत्समय चल रही जमीन की कीमत से 35 प्रतिशत अधिक रेट का मुआवजा दिया गया था। चूंकि इनमें से कुछ ग्रामीणों ने मुआवजा लेने से मना करते हुए पार्क को न छोडक़र वहीं पर खेती करते रहे। जब वो ग्रामीण पार्क छोडक़र नहीं गए तो जिन लोगों ने मुआवजा ले लिया था, वो भी गांव में अपनी पुरानी जमीन पर ही फसल का उत्पादन करके मुनाफा कमाते रहे। ऐसे ग्रामीणों की संख्या अधिक है, जो 12 साल पहले मुआवजा लेने के बाद भी पार्क के अंदर खेती करके फसल के दाम भी वसूलते रहे। अब जबकि शिवपुरी नेशनल पार्क में टाइगर लाने की कवायद की जा रही है, इसलिए मुआवजा लेकर बरसों से कब्जा करके बेठे इन ग्रामीणें के बाहर करने के लिए अब सख्ती हो सकती है।
5 गांव, 468 परिवार, 75 ने नहीं लिया मुआवजा
माधव नेशनल पार्क के अंदर 5 गांव मामोनी बर्दखेड़ी, चक ढोंगर, लखनगंवा, अर्जुनगंवा, हरनगर में कुल 468 परिवार निवास करते हैं, जिनमें से महज 75 ने अभी तक मुआवजा नहीं लिया है। इनमें जो आदिवासी परिवार निवास करते थे, वे तो मुआवजा लेकर गांव छोडक़र दूसरी जगह विस्थापित हो गए, लेकिन दूसरे वर्ग के लोग कोई न कोई बहाना बनाकर वहीं पर खेती करने रुक गए। इनमें से चकढोंगर व हरनगर गांव तो पार्क के बाहर बसे हैं, लेकिन उनकी खेती की जमीन नेशनल पार्क के अंदर है।
टाइगर के आते ही बदलेगी शिवपुरी की फिजा
माधव नेशनल पार्क में टाइगर की आमद के साथ ही विदेशी सैलानियों के साथ हमारे देश के पर्यटक भी शिवपुरी की ओर रुख करेंगे। क्योंकि उन्हें टाइगर को देखना अच्छा लगता है। बरसों से रूठे पर्यटक ने यदि फिर से शिवपुरी की ओर रुख किया तो शिवपुरी में भी टूरिज्म को बढ़ावा मिलने के साथ ही लोगों को रोजगार भी मिलेगा तथा यहां अक्सर खाली रहने वाले होटल भी सैलानियों से भरे रहा करेंगे।
एच-टाइप है नेशनल पार्क
शिवपुरी का माधव नेशनल पार्क 354 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। लेकिन नेशनल पार्क का जंगल एक समान न होकर यह एच-टाइप का है। यानि दोनों तरफ सीधे डंडों को बीच में एक सकरी पट्टी अलग किए हुए है। यह पट्टी वो पांच गांव हैं, जो अभी तक खाली नहीं हो पाए हैं। नेशनल पार्क के असि. डायरेक्टर अनिल सोनी का कहना है कि जब तक एच-टाईप का डंडा खत्म नहीं होगा, तब तक पार्क एक समान नहीं हो पाएगा तथा टाइगर की सुरक्षा बेहतर नहीं रह पाएगी।
फैक्ट फाइल

– 354 वर्ग किमी में है माधव नेशनल पार्क।
05 गांव के 468 परिवार निवास करते थे पार्क के अंदर
2008 में बांटा गया मुआवजा 75 परिवार ने नहीं लिया।
393 परिवार मुआवजा लेकर भी पार्क में खेती कर रहे हैं।
बोले कलेक्टर: अब ज्यादा काम नहीं रह गया
दो माह पूर्व हम भी पार्क के अंदर बसे गांव में लोगों को समझाने और उन्हें पार्क से बाहर जाने की बात कहने गए थे। पार्क प्रबंधन के पास राशि भी है और वो जमीन राजस्व से नेशनल पार्क को ट्रांसफर भी हो गई। इसलिए अब पार्क खाली कराना कठिन काम नहीं है, जल्द करवा लेंगे।
अक्षय कुमार सिंह, कलेक्टर शिवपुरी

ट्रेंडिंग वीडियो