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अस्पताल स्टाफ नहीं लगा पाया केनुला, बच्चे की जान चली गई

locationशिवपुरीPublished: Jan 11, 2019 11:16:23 pm

Submitted by:

Rakesh shukla

मेडकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल का हाल बेहाल, यहां से वहां भटकते रहे परिजन और इलाज के अभाव में बच्चे ने दम तोड़ा

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अस्पताल स्टाफ नहीं लगा पाया केनुला, बच्चे की जान चली गई

शिवपुरी. जिला अस्पताल शिवपुरी को अब मेडिकल कॉलेज से संबद्ध कर दिया गया है। ऐसे में जिले का सबसे बड़ा अस्पताल अब मेडिकल कॉलेज के अस्पताल के रूप में काम कर रहा है, परंतु यह अस्पताल सिर्फ नाम का मेडिकल कॉलेज बन कर रह गया है। यहां के स्टाफ की स्थिति यह है कि बीती रात जिला अस्पाल का पूरा स्टाफ एक बच्चे को केनुला तक नहीं लगा पाया। इस कारण बच्चे को इलाज तक मुहैया नहीं हो सका और अंतत: उसकी मौत हो गई। यह ऐसा इकलौता मामला नहीं है, इससे पूर्व भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं।
जानकारी के अनुसार गुरूवार को पल्लवी नाम की महिला अपने आठ माह के बेटे शुभ को उल्टी, दस्त की शिकायत लेकर जिला अस्पताल पहुंची। अस्पताल में डॉ बृजेश मंगल ने उसे देखा और उसकी स्थिति को सामान्य बताते हुए दवाएं दे दीं और वापस घर ले जाने को कहा। पल्लवी अपने बेटे को लेकर वापिस लौट गई, रात में अचानक उसके बेटे की तबियत बिगड़ी तो वह उसे फिर से जिला अस्पताल लेकर पहुंची, जहां डॉक्टर ने बच्चे का चेकअप किया और उसे ड्रिप के माध्यम से दवा देने के लिए उसे केनुला लगाने को कहा। शुभ को मेडिकल वार्ड में केनुला लगाया गया परंतु स्टाफ केनुला नहीं लगा पाया, इसके बाद पीआईसीयू (बच्चों का आईसीयू वार्ड) में उसे केनुला लगाने का प्रयास किया गया। यहां जब उसे केनुला नहीं लगाया जा सका तो शुभ को केनुला लगाने के लिए एसएनसीयू वार्ड में भेजा गया। ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू वार्ड के स्टाफ ने भी शुभ को केनुला लगाने का प्रयास किया परंतु वह भी उसे केनुला नहीं लगा पाए। इसके बाद स्पेशलिस्ट शंकर को भी केनुला लगाने के लिए बुलाया गया लेकिन वह भी केनुला लगाने में अक्षम रहा। कुल मिला कर एक मासूम बच्चे को केनुला न लग पाने के कारण उसे प्रोपर इलाज नहीं मिल पाया और उसकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई और चार घंटे की जद्दोजहद के बाद शुभ ने सुबह ५ बजे दम तोड़ दिया। इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि जिला अस्पताल सिर्फ नाम का मेडीकल कॉलेज बनकर रहा गया है, कई बार तो यहां का स्टाफ केनुला लगाने तक में अक्षम साबित हो जाता है। यह स्टाफ मरीजों को इलाज कहां से प्रदान करेगा। यहां बताना होगा कि तीन दिन पूर्व विवेक सक्सेना नाम का एक व्यक्ति रात में जब बेटी को इलाज के लिए जिला अस्पाल लेकर पहुंचा था तो डॉक्टर बीमारी का पूरा नाम तक उसे नहीं बता पाया था और जो दवा पर्चे पर लिखी थी उसे मेडिकल वाला तक नहीं समझ सका था।
आईसीयू पर फिर से लटक गए ताले
यहां उल्लेख करना होगा कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम के निरीक्षण के उपरांत दिखावे के लिए जिला अस्पताल के आईसीयू वार्ड के ताले खुलवा दिए गए थे, परंतु पिछले कुछ दिनों से एक बार फिर ताले लटका दिए गए हैं। खास बात यह है कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के अनुसार मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में आईसीयू वार्ड होना अनिवार्य है, इसके बावजूद जिला अस्पताल के आईसीयू वार्ड को चालू करने का प्रयास मेडिकल कॉलेज के कर्ताधर्ताओं ने नहीं किया है।
खतरे में आ सकती है मान्यता
यदि विशेषज्ञों की मानें तो शिवपुरी मेडिकल कॉलेज की मान्यता आईसीयू वार्ड के संचालन न होने को लेकर एक बार फिर खतरे में पड़ सकती है। इस संबंध में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम ने मेडिकल कॉलेज की डीन इला गुजरिया को चेतावनी देते हुए जल्द से जल्द इसे चालू कराने के लिए कहा था परंतु वह आईसीयू को चालू कराने में अक्षम साबित हुई हैं। वह एमसीआई को आईसीयू चालू कराने की सूचना भी नहीं दे पाई हैं। ऐसे में मेडिकल कॉलेज की मान्यता खतरे में आ सकती है।
हमने हर वार्ड के स्टाफ से यहां तक कि एसएनसीयू के स्टाफ से भी केनुला लगवाने का पूरा प्रयास किया परंतु बच्चे की नब्ज नहीं मिल पाई। इस कारण हम ड्रिप नहीं दे सके परंतु हमने अन्य सभी प्रयास किए बच्चे को कार्डियो दी गई, मसाज दी गई परंतु इस दौरान उसकी स्थिति बिगड़ती गई और उसके शरीर के अन्य आर्गन्स ने भी काम करना बंद कर दिया।
डॉ पीके दुबे, ड्यूटी डॉक्टर
यह बात सही है कि मेडीकल कॉलेज के अस्पताल में आईसीयू वार्ड होना अनिवार्य है, परंतु मेडिकल स्पेशलिस्ट की कमी के कारण हम आईसीयू वार्ड को चलाने में सक्षम नहीं हैं। हम तीन से चार बार मेडिकल फेकल्टी के लिए विज्ञापन निकाल चुके हैं, परंतु कोई डॉक्टर नहीं मिल पा रहा। हम हायर अर्थोटी को सारी परिस्थितियों से अवगत करा रहे हैं।
डॉ केबी वर्मा, अधीक्षक मेडीकल कॉलेज
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