सीवर प्रोजेक्ट
शिवपुरी शहर की जब आबादी कम थी तब सौ साल पूर्व सिंधिया स्टेट के समय में सीवर लाइन डाली गई थी। बढ़ती आबादी के बीच सीवर की समस्या आई तथा लोगों ने शहर के नालों में अपने सीवर के पाइप खोल दिए। जिसके चलते शहरभर का सीवर इन नालों में से होकर जाधव सागर तालाब से होकर करबला और फिर चांदपाठा झील में होता माधव लेक में पहुंच रहा था। भारत सरकार की झील संरक्षण परियोजना के तहत शिवपुरी में सीवर प्रोजेक्ट स्वीकृत किया गया। यह काम जैन एंड राय कंपनी को जुलाई 2013 में वर्क ऑर्डर मिला था, जिसे 21 माह में पूरा करना था। जब प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ तब इसकी लागत 62 करोड़ थी, जो अब बढक़र 110 करोड़ रुपए तक पहुंच गई। काम करने वाली कंपनी अब टेस्टिंग में लेटलतीफी कर रही है, तो उसे भी ब्लैक लिस्ट करने की तैयारी की जा रही है।
शिवपुरी शहर की जब आबादी कम थी तब सौ साल पूर्व सिंधिया स्टेट के समय में सीवर लाइन डाली गई थी। बढ़ती आबादी के बीच सीवर की समस्या आई तथा लोगों ने शहर के नालों में अपने सीवर के पाइप खोल दिए। जिसके चलते शहरभर का सीवर इन नालों में से होकर जाधव सागर तालाब से होकर करबला और फिर चांदपाठा झील में होता माधव लेक में पहुंच रहा था। भारत सरकार की झील संरक्षण परियोजना के तहत शिवपुरी में सीवर प्रोजेक्ट स्वीकृत किया गया। यह काम जैन एंड राय कंपनी को जुलाई 2013 में वर्क ऑर्डर मिला था, जिसे 21 माह में पूरा करना था। जब प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ तब इसकी लागत 62 करोड़ थी, जो अब बढक़र 110 करोड़ रुपए तक पहुंच गई। काम करने वाली कंपनी अब टेस्टिंग में लेटलतीफी कर रही है, तो उसे भी ब्लैक लिस्ट करने की तैयारी की जा रही है।
सिंध जलावर्धन योजना
शिवपुरी शहर में ट्यूबवैल लगाने के नियमों को ताक पर रखकर इतने अंधाधुंध खनन किए गए कि शहरी क्षेत्र में धरातल का पानी रसातल में पहुंच जाने से पूरा एरिया ड्राई जोन हो गया। साथ ही शहर के 18 तालाबो में से 13 पर भू-माफिया ने कब्जा कर लिया। शहर की जनता को पानी उपलब्ध कराने के लिए सिंतबर 2009 में सिंध जलावर्धन का काम शुरू होकर सिंतबर 2011 में पूरा होना था। प्रोजेक्ट जब स्वीकृत हुआ, तब इसकी लागत 59 करोड़ थी, जो बढक़र 150 करोड़ हो गई। 110 करोड़ तो खर्च हो गए तथा 40 करोड़ में मेन लाइन के पाइप बदलने हैं। इस काम को दोशियान कंपनी ने लिया था, जो उलझनों के बीच में समय पर काम पूरा नहीं कर पाई और उसे ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया। यह प्रोजेक्ट अभी तक पूरा नहीं हो सका तथा आए दिन फूटने वाली लाइनों व लीकेज से हर दिन हजारों लीटर पानी बर्बाद होता है।
शिवपुरी शहर में ट्यूबवैल लगाने के नियमों को ताक पर रखकर इतने अंधाधुंध खनन किए गए कि शहरी क्षेत्र में धरातल का पानी रसातल में पहुंच जाने से पूरा एरिया ड्राई जोन हो गया। साथ ही शहर के 18 तालाबो में से 13 पर भू-माफिया ने कब्जा कर लिया। शहर की जनता को पानी उपलब्ध कराने के लिए सिंतबर 2009 में सिंध जलावर्धन का काम शुरू होकर सिंतबर 2011 में पूरा होना था। प्रोजेक्ट जब स्वीकृत हुआ, तब इसकी लागत 59 करोड़ थी, जो बढक़र 150 करोड़ हो गई। 110 करोड़ तो खर्च हो गए तथा 40 करोड़ में मेन लाइन के पाइप बदलने हैं। इस काम को दोशियान कंपनी ने लिया था, जो उलझनों के बीच में समय पर काम पूरा नहीं कर पाई और उसे ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया। यह प्रोजेक्ट अभी तक पूरा नहीं हो सका तथा आए दिन फूटने वाली लाइनों व लीकेज से हर दिन हजारों लीटर पानी बर्बाद होता है।
देवास फोरलेन
ग्वालियर से देवास के बीच फोरलेन सडक़ का काम शिवपुरी के दोनों ओर यानि ग्वालियर व गुना तथा उसके आगे तक बिना रुकावट के हुआ, लेकिन शिवपुरी में आकर इसमें भी बे्रक लग गया। यूं तो फोरलेन को बने हुए लगभग 5 साल हो गए, लेकिन शिवपुरी से सतनबाड़ा के बीच 9 किमी की सडक़ अभी भी टू-लेन ही है। इसके फोरलेन बनने में माधव नेशनल पार्क रुकावट बन गया था तथा उसके वन्यजीवों को सुरक्षित रखने के लिए अब इतनी लंबाई में अंडर गेट पास वाला ब्रिजनुमा फोरलेन बनाया जा रहा है। शिवपुरी में बना फोरलेन बायपास पहली बारिश में ही बह गया था, जिसके चलते उसका काम करने वाली कंपनी को पहले ब्लैक लिस्टेड किया और फिर दूसरी बार बायपास का काम दूसरा टेंडर निकालकर करवाया गया। यह बायपास पिछली बरसात में भी धसक गया था, जिसकी मरम्मत अभी तक चल रही है।
ग्वालियर से देवास के बीच फोरलेन सडक़ का काम शिवपुरी के दोनों ओर यानि ग्वालियर व गुना तथा उसके आगे तक बिना रुकावट के हुआ, लेकिन शिवपुरी में आकर इसमें भी बे्रक लग गया। यूं तो फोरलेन को बने हुए लगभग 5 साल हो गए, लेकिन शिवपुरी से सतनबाड़ा के बीच 9 किमी की सडक़ अभी भी टू-लेन ही है। इसके फोरलेन बनने में माधव नेशनल पार्क रुकावट बन गया था तथा उसके वन्यजीवों को सुरक्षित रखने के लिए अब इतनी लंबाई में अंडर गेट पास वाला ब्रिजनुमा फोरलेन बनाया जा रहा है। शिवपुरी में बना फोरलेन बायपास पहली बारिश में ही बह गया था, जिसके चलते उसका काम करने वाली कंपनी को पहले ब्लैक लिस्टेड किया और फिर दूसरी बार बायपास का काम दूसरा टेंडर निकालकर करवाया गया। यह बायपास पिछली बरसात में भी धसक गया था, जिसकी मरम्मत अभी तक चल रही है।
थीम रोड पर भी ग्रहण
शिवपुरी शहर के लिए दो थीम रोड स्वीकृत हुईं। पहली थीम रोड झांसी तिराहे से हवाई पट्टी के बीच 2.4 किमी लंबाई की बनाई जानी है, जबकि दूसरी थीम रोड शहर के मध्य से गुजरे हाईवे पर 13.50 किमी की फोरलेन बनाई जानी है। इस थीम रोड को भी 2 साल से अधिक समय हो गया, लेकिन यह भी पूरा होने का नाम नहीं ले रहा। उधर झांसी तिराहे से हवाई पट्टी तक थीम रोड बनाने वाला ठेकेदार अब काम करने के मूड में नहीं है तो पीडब्ल्यूडी ईई ने उसे भी 5 दिन का समय दिया है, अन्यथा उसे ब्लैक लिस्ट किया जाएगा।
शिवपुरी शहर के लिए दो थीम रोड स्वीकृत हुईं। पहली थीम रोड झांसी तिराहे से हवाई पट्टी के बीच 2.4 किमी लंबाई की बनाई जानी है, जबकि दूसरी थीम रोड शहर के मध्य से गुजरे हाईवे पर 13.50 किमी की फोरलेन बनाई जानी है। इस थीम रोड को भी 2 साल से अधिक समय हो गया, लेकिन यह भी पूरा होने का नाम नहीं ले रहा। उधर झांसी तिराहे से हवाई पट्टी तक थीम रोड बनाने वाला ठेकेदार अब काम करने के मूड में नहीं है तो पीडब्ल्यूडी ईई ने उसे भी 5 दिन का समय दिया है, अन्यथा उसे ब्लैक लिस्ट किया जाएगा।
दिसंबर तक का दिया समय
सीवर प्रोजेक्ट का काम करने वाली कंपनी को दिसंबर तक कंपलीट करने का समय दिया है। यदि वो इस समयावधि में काम पूरा करके टेस्टिंग करके नहीं देगी तो उसे ब्लैक लिस्टेड किया जाएगा।
एलपी सिंह, ईई पीएचई शिवपुरी
सीवर प्रोजेक्ट का काम करने वाली कंपनी को दिसंबर तक कंपलीट करने का समय दिया है। यदि वो इस समयावधि में काम पूरा करके टेस्टिंग करके नहीं देगी तो उसे ब्लैक लिस्टेड किया जाएगा।
एलपी सिंह, ईई पीएचई शिवपुरी