पुरुषों के साथ भर्ती की जा रहीं महिलाएं
पत्रिका ने जब अस्पताल से भागने का प्रयास करने वाली कोरोना पॉजीटिव प्रसूता से भागने का कारण जानना चाहा तो उसने कहा, उसे रात को यहां से कोविड-19 विंग में शिफ्ट किया गया। वहां उसे पुरुषों के बीच में अकेले भर्ती कर दिया था, इस कारण रात को खुद को इतने पुरुषों के बीच अकेला पाकर वह डर गई और वहां से भाग आई। पूर्व में भागने वाली महिला के पीछे भी ऐसा ही कुछ कारण था।
पत्रिका ने जब अस्पताल से भागने का प्रयास करने वाली कोरोना पॉजीटिव प्रसूता से भागने का कारण जानना चाहा तो उसने कहा, उसे रात को यहां से कोविड-19 विंग में शिफ्ट किया गया। वहां उसे पुरुषों के बीच में अकेले भर्ती कर दिया था, इस कारण रात को खुद को इतने पुरुषों के बीच अकेला पाकर वह डर गई और वहां से भाग आई। पूर्व में भागने वाली महिला के पीछे भी ऐसा ही कुछ कारण था।
…सिर्फ कागजों में ही बनाया गया है महिला वार्ड ?
अगर कोविड-19 की जमीनी हकीकत देखें तो कागजों में ही कोविड-19 वार्ड बनाया गया है। हकीकते तो यह है कि मरीजों को एक ही वार्ड में भर्ती किया जा रहा है। यह पहली बार नहीं है किसी महिला ने खुद को पुरूषों के साथ भर्ती किए जाने की बात कही है। इससे पूर्व भी कई प्रकरण ऐसे आए हैं जिनमें महिलाओं को पुरुषों के वार्ड में रखने की बात सामने आई है। ऐसे में विचारणीय पहलू यह है कि कोविड-19 विंग में महिला वार्ड क्या सिर्फ कागजों में ही बनाया गया है?
अगर कोविड-19 की जमीनी हकीकत देखें तो कागजों में ही कोविड-19 वार्ड बनाया गया है। हकीकते तो यह है कि मरीजों को एक ही वार्ड में भर्ती किया जा रहा है। यह पहली बार नहीं है किसी महिला ने खुद को पुरूषों के साथ भर्ती किए जाने की बात कही है। इससे पूर्व भी कई प्रकरण ऐसे आए हैं जिनमें महिलाओं को पुरुषों के वार्ड में रखने की बात सामने आई है। ऐसे में विचारणीय पहलू यह है कि कोविड-19 विंग में महिला वार्ड क्या सिर्फ कागजों में ही बनाया गया है?
कोरोना पीडि़ता के साथ पति, सास और नवजात
जिला अस्पताल में लापरवाही का आलम सिर्फ महिला के कोविड-19 वार्ड से भागने तक ही नहीं थमा। प्रसूता को जब पकड़ कर फिर से अस्पताल की मेटरनिटी विंग में ही भर्ती कराया गया तो उसके साथ वार्ड में उसके पति, सास और नवजात बच्ची को रुकने की इजाजत दे दी गई। सवाल यह उठता है कि इस कोरोना पीडि़ता के साथ रहने से क्या उसकी सास, पति और बेटी कोरोना संक्रमण की चपेट में नहीं आएंगे…?
जिला अस्पताल में लापरवाही का आलम सिर्फ महिला के कोविड-19 वार्ड से भागने तक ही नहीं थमा। प्रसूता को जब पकड़ कर फिर से अस्पताल की मेटरनिटी विंग में ही भर्ती कराया गया तो उसके साथ वार्ड में उसके पति, सास और नवजात बच्ची को रुकने की इजाजत दे दी गई। सवाल यह उठता है कि इस कोरोना पीडि़ता के साथ रहने से क्या उसकी सास, पति और बेटी कोरोना संक्रमण की चपेट में नहीं आएंगे…?
जिस वार्ड में भर्ती पीडि़ता वहां का पंखा खराब
पत्रिका टीम जब उस वार्ड में पहुंची जहां महिला को भर्ती किया गया था तो पता चला कि वार्ड में पंखा खराब पड़ा है, ऐसे में भीषण गर्मी में वह कैसे रह पाएगी? जब इस बात की शिकायत की गई तो रात में उन्हें एक स्टैंड फेन दिया गया वह भी रात को बेहद कम हवा दे रहा था और सुबह होते होते वह भी खराब हो गया। इसकी शिकायत भी अस्पताल प्रबंधन को दर्ज करा दी गई, परंतु सोमवार की दोपहर बाद तक पंखा सही नहीं हो सका।
पत्रिका टीम जब उस वार्ड में पहुंची जहां महिला को भर्ती किया गया था तो पता चला कि वार्ड में पंखा खराब पड़ा है, ऐसे में भीषण गर्मी में वह कैसे रह पाएगी? जब इस बात की शिकायत की गई तो रात में उन्हें एक स्टैंड फेन दिया गया वह भी रात को बेहद कम हवा दे रहा था और सुबह होते होते वह भी खराब हो गया। इसकी शिकायत भी अस्पताल प्रबंधन को दर्ज करा दी गई, परंतु सोमवार की दोपहर बाद तक पंखा सही नहीं हो सका।
इनका कहना
ऐसा नहीं है कि महिला भागी हो, वह तो हमने ही शिफ्ट कराई है। हमारे यहां महिला-पुरुष दोनों के अलग-अलग वार्ड हैं और हम दोनों को अलग-अलग वार्ड में ही भर्ती करते हैं।
– डॉ. केबी वर्मा, प्रभारी, कोविड-१९ वार्ड, जिला अस्पताल
ऐसा नहीं है कि महिला भागी हो, वह तो हमने ही शिफ्ट कराई है। हमारे यहां महिला-पुरुष दोनों के अलग-अलग वार्ड हैं और हम दोनों को अलग-अलग वार्ड में ही भर्ती करते हैं।
– डॉ. केबी वर्मा, प्रभारी, कोविड-१९ वार्ड, जिला अस्पताल
जो महिला भागने का प्रयास कर रही थी उसे गार्डों ने पकड़ लिया और वापस मेटरनिटी विंग के वार्ड में भर्ती करवा दिया। वार्ड का पंखा खराब होने पर हमने उसे दूसरा पंखा उपलब्ध करवाया था। अगर वह भी खराब हो गया है तो मुझे जानकारी नहीं है। हमने परिजनों को कहा था कि पीडि़ता के साथ कोई एक ही रहेगा, अगर ज्यादा लोग हैं तो उनकी लापरवाही है। यह दोनों बातें आपके द्वारा मेरे संज्ञान में आई हैं। मैं दिखवाता हूं।
– डॉ. पीके खरे, सिविल सर्जन
– डॉ. पीके खरे, सिविल सर्जन