गौरतलब है कि बीते 12 मई को जनसंपर्क कार्यालय से जारी स्वास्थ्य विभाग की उपलब्धि का एक प्रेसनोट रिलीज किया गया, जिसमें अमोला गांव में भी ग्रामीणों की सैंपलिंग करने की बात कही गई। जब यह खबर समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई तो अमोला गांव के लोग ही यह चर्चा करते रहे कि आखिर सैंपलिंग करने कब और कहां टीम आ गई, जबकि हमारे गांव में तो कोई सेंपलिंग करने आया ही नहीं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि सैंपलिंग में या तो स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार कागजी घोड़े दौड़ा रहे हैं या फिर गांव के सरपंच व सरकारी डॉक्टर गलत बोल रहे हैं। लेकिन इस फेर में स्थिति ग्रामीणों की खराब है, क्योंकि जब उनके सैंपल ही नहीं लिए जा रहे, तो फिर कैसे पता चलेगा कि कौन सा मरीज कोरोना संक्रमित है। चूंकि एक तरफ कोरोना संक्रमण अब शहर छोडक़र गांव का रास्ता पकड़ गया, ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग को पूरी तत्परता के साथ सैंपलिंग से लेकर दवा पितरण कार्य करना चाहिए, अन्यथा वहां पर हालात अधिक बिगड़ सकते हैं।
आती टीम तो पता चलता: डॉ. नीतेश
अमोला में कोई सैंपलिंग लेने वाली टीम आने की जानकारी हमें नहीं है। यदि टीम आती तो हमें जरूर मालूम होता। फिर भी मैं जानकारी लेता हूंं कि टीम कब और कहां आई थी, जो सैपंल लेकर गई।
डॉ. नीतेश, चिकित्सक शासकीय अस्पताल सिरसौद
सैंपल लेने के लिए गई थी हमारी टीम
हमारी टीम लगातार गांव में जाकर सैंपल ले रही है। अमोला भी हमारी टीम सैंपल लेने गई थी, हो सकता है कि गांव वालों को पता नहीं चला होगा। हमारी टीम उस दिन खोड़ व अमोला में सैंपल लेने गई थी।
डॉ. देवेंद्र खरे,कोविड प्रभारी करैरा
नहीं आई कोई टीम
हमारी पंचायत के अमोला गांव में कोई टीम सैंपल लेने नहीं आई। न तो यहां कोई जांच हो रही और न ही दवा वितरण हो रही। पता नहीं कहां और किसका सैंपल लेकर चले गए, गांव में आते तो हमें पता तो चलता, गांव वाले भी बताते, ऐसा कुछ नहीं हुआ।
रामलली अतर सिंह लोधी, सरंपच सिरसौद (अमोला)