मंगलवार की दोपहर लगभग 12 बजे कलेक्टर व एसपी आइसोलेशन वार्ड परिसर में पहुंचे तथा उन्होंने वहां मौजूद लोगों से पूछताछ करना शुरू की। एकाएक जिले के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की जा रही पतारशी से वहां मौजूद लोगों ने जब वहां आने के कारण बताए, तो अधिकारीद्वय बोले कि अब ऐसे हालातों में कोरोना नहीं फैलेगा तो क्या होगा। क्योंकि कोई अपने भर्ती परिजन के लिए खाना लेकर आया था तो कोई यूं ही हालचाल पूछने वार्ड में जा रहा था। अधिकारियों ने आइसोलेशन वार्ड में इस तरह की छूट पर नाराजगी व्यक्त करते हुए स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों से पूछा कि यह सब क्या चल रहा है। मोके पर मौजूद प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. राजकुमार ऋषिश्वर व कुछ देर बाद पहुंचे सीएमएचओ डॉ. एएल शर्मा सहित अन्य जिम्मेदारों को कलेक्टर ने निर्देश दिए कि वार्ड में जब संक्रमित मरीजों की इतनी भरमार है, तो वहां बाहर के व्यक्ति को प्रवेश दिया जाना ही गलत है। उन्होंने पूछा कि क्या वार्ड में भर्ती मरीजों को खाना नहीं मिलता, तो स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों ने कहा कि हम प्रत्येक मरीज को भोजन उपलब्ध करा रहे हैं, तो फिर कलेक्टर बोले कि यह लोग घर से खाना लेकर क्यों आ रहे हैं?, चूंकि ऐसे हालात लंबे समय से चले आ रहे हैं, इसलिए स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों के पास चुप्पी साधने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था।
सी एमएचओ डॉ. शर्मा ने एसपी से कहा कि गेट पर आप अपने विभाग का तेज तर्रार कर्मचारी तैनात करें, जो पूरी सख्ती के साथ रोक-टोक करे। इस पर एसपी राजेश सिंह चंदेल ने कहा कि आपके स्टाफ के पास आइकार्ड है क्या? कहीं ऐसा न हो कि हमारे तेज तर्रार जवान ने आपके डॉक्टर से सख्ती कर दी, तो फिर अलग परेशानी होगी।
पोहरी रोड की तरफ से आइसोलेशन वार्ड के लिए जाने वाले मेन गेट का दरवाजा बंद रहेगा, ताकि कोई भी वाहन अंदर तक न जाए।
वार्ड में मरीज के साथ अटेंडर नहीं रहेगा, बल्कि मरीज की पूरी देखरेख वार्डबॉय करेंगे। हालांकि जब कलेक्टर ने सीएस से पूछा कि कितने वार्डबॉय हैं?, तो वे जवाब नहीं दे पाए।
मरीज के लिए घर-परिवार के लोग खाना लेकर नहीं जाएंगे, बल्कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा दिया जाने वाला नाश्ता व खाना ही मरीज को दिया जाए।
गेट पर तैनात पुलिसकर्मी व प्राइवेट सुरक्षा गार्ड किसी भी बाहरी व्यक्ति को अंदर जाने से रोकेगा तथा वहां कार्यरत स्टाफ को ही अंदर जाने देगा।