न्यायालय ने कीं रजिस्ट्रियां अमान्य
शिवपुरीPublished: Dec 22, 2017 11:16:02 pm
बिजली कंपनी की जमीन कब्जाकर की रजिस्ट्रियां, न्यायालय ने कीं अमान्य
शिवपुरी. अपर जिला न्यायाधीश करैरा एके त्रिपाठी की अदालत में गुरुवार को हुए एक फैसले में बिजली कंपनी की जमीन पर की गईं रजिस्ट्रियों को अमान्य करते हुए इस भूमि को बिजली कंपनी की घोषित किया तथा कब्जा हटाने के निर्देश दिए।
अभियोजन के अनुसार विद्युत विभाग करैरा द्वारा वर्ष 1961 में भूमि स्वामी जयनारायण सक्सेना करैरा से शासन के माध्यम से एक एकड़ भूमि को करैरा में पावर हाउस बनाने के लिए अर्जित की थी, जिसका मप्र राज्य पत्र में प्रकाशन 16 अगस्त 196 8 में हुआ था। विभाग का उक्त जमीन पर कब्जा होने के कारण भू-अर्जन अधिकारी शिवपुरी द्वारा तहसीलदार करैरा को कागजों में एक एकड़ भूमि विद्युत मंडल के नाम चढ़ाने तथा जय नारायण सक्सेना के खाते से कम करने के आदेश दिए थे। बाद में बड़ा पावर हाउस झांसी रोड करैरा में शासकीय भूमि लेकर बनाया गया, जबकि पुराने पावर हाउस पर विभाग का स्टोर एवं मंदिर बना हुआ था तथा फेंसिंग द्वारा कब्जा था। भू-माफिया द्वारा जयनारायण सक्सेना की जमीन का घरू बंटवारा वर्ष 1958 का बताते हुए सर्वे नंबर 1504 एवं 1506 की भूमि को न्यायालय में आवेदन देकर अपने नाम से दर्ज कराने के आदेश प्राप्त किए थे। वर्ष 2012 में घरू बंटवारे के आधार पर पटवारी से सांठगांठ करके कागजों में अपना नाम चढ़वाकर उक्त जमीन पर प्लॉट बेचना शुरू कर दिया था। जब विभाग की जमीन पर रजिस्ट्री के आधार पर मकान बनाने की तैयारी होने लगी तो विभाग ने स्टे लेकर कार्रवाई को रुकवाते हुए करैरा न्यायालय में इस आधार पर प्रकरण दर्ज कराया कि यदि घरू बंटवारा 1958 में हुआ था तो वर्ष 2012 तक कागजों में दर्ज क्यों नहीं कराया गया। यह जमीन शासन के माध्यम से विभाग ने अर्जित की है। न्यायालय ने सर्वे नंबर 1504 में 0.25 एकड़ तथा सर्वे नं. 1506 /2 में 0.75 एकड़ कुल जमीन 1 एकड़ को विद्युत विभाग की माना है। साथ ही भूमि क्रेता छाया गुप्ता एवं बालगोविंद करैरा को सद्भावी क्रेता नहीं मानते हुए एक माह के भीतर कब्जा हटाकर रिक्त आधिपत्य वादी को देने के आदेश दिए।