कोरोना का कहर : रोते हुए मजदूर बोले साहब, भूखे मरने से अच्छा है चंबल कूदकर घर पहुंचे
मजदूरों के लिए कराई भोजन और नाश्ता की व्यवस्था
सैंकड़ों की संख्या में मजदूरों को देखते हुए झांसी प्रशासन और शिवपुरी जिले के करैरा बीआरसी अफाक हुसैन ने मजदूरों के लिए भोजन की व्यवस्था करवाई। वहीं ग्राम पंचायत वनवास के सचिव द्वारा पानी और नाश्ता कि व्यवस्था की गई। साथ ही सभी मजदूरों को पुलिस द्वारा स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया,जहां उनकी जांच करवाकर होम कोरटाइन के लिए भेजा जाएगा। यहां बता दें कि सरकारों द्वारा विभिन्न शहरों में फंसे छात्रों को अपने घर लाने के लिए बस की सुविधा देकर अपने राज्य बुलाया जा रहा है,लेकिन मजदूर कई किलोमीटर पैदल चलकर किसी भी तरह वाहनों का सहारा लेकर जैसे तैसे बॉर्डर तक आ जाते है तो उनको अब वहां से आगे जाने नहीं दिया जाता है।
मजदूरों के लिए कराई भोजन और नाश्ता की व्यवस्था
सैंकड़ों की संख्या में मजदूरों को देखते हुए झांसी प्रशासन और शिवपुरी जिले के करैरा बीआरसी अफाक हुसैन ने मजदूरों के लिए भोजन की व्यवस्था करवाई। वहीं ग्राम पंचायत वनवास के सचिव द्वारा पानी और नाश्ता कि व्यवस्था की गई। साथ ही सभी मजदूरों को पुलिस द्वारा स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया,जहां उनकी जांच करवाकर होम कोरटाइन के लिए भेजा जाएगा। यहां बता दें कि सरकारों द्वारा विभिन्न शहरों में फंसे छात्रों को अपने घर लाने के लिए बस की सुविधा देकर अपने राज्य बुलाया जा रहा है,लेकिन मजदूर कई किलोमीटर पैदल चलकर किसी भी तरह वाहनों का सहारा लेकर जैसे तैसे बॉर्डर तक आ जाते है तो उनको अब वहां से आगे जाने नहीं दिया जाता है।
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पत्रिका से बातचीत में मजदूर राकेश आदिवासी सहित अन्य ने बताया कि वह झांसी से 100 किलोमीटर अधिक उरई कानपूर तक पहुंच गए थे,वहां से उन्हें पुन: बॉर्डर पर वापिस भेज दिया गया है। अगर मजदूरों को बॉर्डर से आगे जाने की अनुमति नहीं मिलती तो शिवपुरी जिले और दतिया जिले के लिए परेशानी और ज्यादा बढ़ जाती है,क्योकि मजदूरों की संख्या करीब एक हजार से अधिक है। क्योकि अभी तक यह पता नहीं है कि कौन सा मजदूर किस क्षेत्र से आया है और अगर इनमें से कोई भी कोरोनवायरस से संक्रमित होता तो स्थिति बहुत ही खराब हो सकती है।
पत्रिका से बातचीत में मजदूर राकेश आदिवासी सहित अन्य ने बताया कि वह झांसी से 100 किलोमीटर अधिक उरई कानपूर तक पहुंच गए थे,वहां से उन्हें पुन: बॉर्डर पर वापिस भेज दिया गया है। अगर मजदूरों को बॉर्डर से आगे जाने की अनुमति नहीं मिलती तो शिवपुरी जिले और दतिया जिले के लिए परेशानी और ज्यादा बढ़ जाती है,क्योकि मजदूरों की संख्या करीब एक हजार से अधिक है। क्योकि अभी तक यह पता नहीं है कि कौन सा मजदूर किस क्षेत्र से आया है और अगर इनमें से कोई भी कोरोनवायरस से संक्रमित होता तो स्थिति बहुत ही खराब हो सकती है।
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यूपी की विभिन्न जिले के हैं मजदूर
बॉर्डर पर रोके जाने के बाद गुस्साए मजदूरों ने वहीं बीच रोड पर जाम लगा दिया। जिससे हाइवे पर करीब दो किलोमीटर तक वाहनों की लंबी लाइन लग गई। इन मजदूरों में अधिकतर को उत्तर प्रदेश की विभिन्न जिलों में जाना है। मजदूरों ने बताया कि हमारे साथ गोखरपुर,सिद्धार्थनगर, इलहबाद,जौनपुर, कानपुर सहित अन्य बस्ती और अन्य जिले के लोग भी शामिल हैं।
यूपी की विभिन्न जिले के हैं मजदूर
बॉर्डर पर रोके जाने के बाद गुस्साए मजदूरों ने वहीं बीच रोड पर जाम लगा दिया। जिससे हाइवे पर करीब दो किलोमीटर तक वाहनों की लंबी लाइन लग गई। इन मजदूरों में अधिकतर को उत्तर प्रदेश की विभिन्न जिलों में जाना है। मजदूरों ने बताया कि हमारे साथ गोखरपुर,सिद्धार्थनगर, इलहबाद,जौनपुर, कानपुर सहित अन्य बस्ती और अन्य जिले के लोग भी शामिल हैं।