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कागज की पर्ची पर चल रहा है बिना टैक्स करोड़ों का कारोबार, जिम्मेदार मौन

locationशिवपुरीPublished: Apr 11, 2019 10:46:19 pm

Submitted by:

Rakesh shukla

पुस्तक विक्रेता नहीं दे रहे अभिभावकों को पक्का बिल
 

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कागज की पर्ची पर चल रहा है बिना टैक्स करोड़ों का कारोबार, जिम्मेदार मौन

शिवपुरी। नए शिक्षा सत्र के शुरू होते ही स्टेशनरी की दुकानों पर करोड़ों रुपए का कारोबार हो जाता है। खास बात यह है कि नंबर एक का यह पूरा कारोबार नंबर दो के बिलों पर हो रहा है। हर साल इस कारोबार से दुकान विक्रेताओं के साथ-साथ स्कूल संचालकों के बारे न्यारे हो जाते हैं, परंतु जिम्मेदार पूरी तरह से मौन हैं।

उल्लेखनीय है कि अप्रैल माह से शिक्षा सत्र 2019-20 की शुरूआत हो गई है, इस कारण स्टेशनरी की दुकानों पर अभिभावकों की भीड़ लगी हुई है। पुस्तक विक्रेता करोड़ों रुपए की किताबें, कॉपियां, पेन, कॉपी, बैग सहित अन्य सामग्री बेच रहे हैं। एक भी दुकान विक्रेता किसी अभिभावक को अपनी दुकान का पक्का बिल नहीं दे रहा है। दुकान विक्रेताओं द्वारा अभिभावकों को बिल न दिए जाने के कारण शासन को भी करोड़ों रुपए के टैक्स की हानि हो रही है। इस मामले में विक्रय कर विभाग के जिम्मेदार अधिकारी पूरी तरह से मौन हैं।

ऊपर से नीचे तक पूरा सिस्टम
स्कूल सिस्टम से जुड़े सूत्र बताते हैं हंै कि किताबों के प्रकाशक, स्कूल संचालकों से सीधे इस बात की डील करते हैं कि वह उनकी किताबें स्कूल में चलाएं। इसके लिए दुकानदारों से भी अनुबंध किया जाता है। इस पूरे खेल में दुकानदान और स्कूल संचालकों को मोटा कमीशन मिल रहा है। किताबों पर रेट तुलनात्मक रूप से कहीं अधिक डाले जाते हैं, इसका परिणाम यह होता है कि अभिभावकों को किताबें प्रिंट रेट पर ही कई गुना कीमत में खरीदनी पड़ती हैं और इस खेल में विभाग के लोग भी कथित तौर पर शामिल होते हैं, यही कारण है कि कभी इस मामले में जांच नहीं होती है। सूत्रों की मानें तो इस साल भी जांच के नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभाई जा रही है।
जांच दल ने चैक नहीं की स्टेशनरी
यहां बताना होगा कि जांच दल की औपचारिकता इसी बात से समझ में आ गई है कि उन्हें सबसे पहले अपनी जांच की शुरूआत स्टेशनरी की दुकानों से करनी थी। उन्हें वहां पुस्तकों के रेट तथा बिल देखना चाहिए थे, ताकि वस्तु स्थिति सामने आ सके परंतु जांच दल ने किसी भी स्टेशनरी पर जाकर क्रॉस चैक करने का प्रयास नहीं किया। यदि स्टेशनरी पर जाकर क्रॉस चैक करते तो न सिर्फ कीमत का खुलासा हो जाता बल्कि इस बात का भी खुलासा हो जाता कि स्टेशनरी संचालक पक्का बिल काट रहे हैं या नहीं।

इनका कहना है
दुकानदार अभिभावकों को पक्का बिल क्यों नहीं दे रहे हैं, मैं अधिकारियों को भिजवा कर दुकानों पर चैकिंग करवाता हूं। अभिभावक भी दुकानदारों से पक्का बिल मांग कर जागरूक नागरिक होने का परिचय दें, ताकि शासन को टैक्स का नुकसान न हो।
एसएल डाबर
जिला वाणिज्य कर अधिकारी

ये बोले अभिभावक
हमें कोर्स के साथ ही एक प्लेन पेपर की स्लिप पर किताबों की रेट और हिसाब बनाकर दे रहे हैं, किसी तरह का कोई प्रिंट बिल नहीं दिया जा रहा।
योगेन्द्र शर्मा, अभिभावक
-हमें दुकान बता दी गई है कि कहां से किताबें खरीदना है। दुकानदार एक सादा स्लिप पर बिल बनाकर दे रहे हैं। सामान्य रूप से किताबों पर कमीशन देते हैं परंतु इन किताब और कॉपियों पर कोई कमीशन हमें नहीं दिया जा रहा है।
सुशील वर्मा, अभिभावक
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