गौरतलब है कि बीते 8 जुलाई को हुई बारिश के बाद मानसून कुछ ऐसे रूठे कि यह अहसास ही खत्म हो गया कि बरसात का मौसम है। दिनोंदिन तापमान बढ़ रहा है और बुधवार को अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। पूर्व में हुई बारिश के बीच जिले भर में सोयाबीन की बोवनी कर दी गई और वर्तमान में कुछ जगह बीज अंकुरित हो गया तो कुछ अभी मिट्टी के ऊपर ही पड़ा है। तापमान बढऩे के साथ चलने वाली हवा से खेतों में मिट्टी के बीच मौजूद नमी वाष्पीकृत होकर खत्म हो रही है। जिसके चलते जो पौधे अंकुरित हो गए हैं, वे सूख जाएंगे, यदि जल्दी ही बारिश नहीं हुई तो। हालांकि उड़द व मूंग की बोवनी में अभी समय है, लेकिन सोयाबीन की बोवनी का समय खत्म हो गया है। कृषि उप संचालक के मुताबिक जिले में दिए गए 3 लाख 45 हजार हेक्टेयर के विरुद्ध 95 फीसदी बोवनी हो चुकी है। ज्ञात रहे कि बीते वर्ष अभी तक हुई बारिश का आंकड़ा भले ही इतना नहीं था, लेकिन वो रुक-रुककर होती रही थी, यानि जब फसलों को जरूरत थी, तब प्रकृति ने पानी दिया था। जिसके चलते फसलों का उत्पादन बीते वर्ष अच्छा हुआ था। लेकिन इस बार बारिश का लंबा ब्रेक हो जाने से फसलों पर खतरा बना हुआ है। जिले में दूसरी सबसे बड़ी फसल मूंगफली की है, जो करैरा क्षेत्र में अधिक बोयी जाती है। करैरा-नरवर में इस बार अधिक बारिश होने से मूंगफली को खतरा कम है।
अवर्षा के बीच सोयाबीन को नुकसान होने का खतरा अधिक है, क्योंकि खेतों में कुछ जगह पौधे निकल आए हैं तो कुछ जगह अभी मिट्टी में दबे हैं। यदि दो-चार दिन में बारिश नहीं हुई तो सोयाबीन को अधिक नुकसान हो जाएगा।
डॉ. एमके भार्गव, वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र पिपरसमा शिवपुरी
हवाओं में नमी होने की वजह से फसल अभी तो रुकी हुई है और यदि 22 जुलाई तक भी बारिश होती है तो नुकसान होने का खतरा नहीं रहेगा। जिले में 95 फीसदी बोवनी तो हो गई, अब बस बारिश का इंतजार है।
यूएस तोमर, उप संचालक कृषि विभाग शिवपुरी