शनिवार की सुबह 6 बजे हाथीखाना में आंगनबाड़ी केंद्र के पास एक बाइक खड़ी हुई थी और पास ही एक युवक की लाश पड़ी थी। चूंकि इस एरिया में पुलिसकर्मियों के ही परिवार अधिक निवास करते हैं, इसलिए मृतक की पहचान जल्दी ही आरक्षक मुकेश शर्मा के रूप मे हो गई। आरक्षक की लाश मिलने की सूचना मिलते ही एडीशनल एसपी गजेंद्र कंवर सहित अन्य पुलिस बल भी मौके पर पहुंचा।
स्थानीय प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि मृतक के पास सिरिंज व नशे का कुछ और सामान भी मिला था, जिसे नजर बचाकर साथी पुलिसकर्मियों ने वहां से अलग कर दिया। शव को पीएम के लिए पहुंचाया गया। मृतक आरक्षक वर्तमान में अपनी पत्नी व बच्चों के साथ महाराणा प्रताप कॉलोनी में निवास करता था। बताया जता है कि मृतक मुकेश शर्मा जिस महाराणा प्रताप कॉलोनी में परिवार सहित निवास करता था, वहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से परिवार में कोई बात हो गई थी, इसलिए मुकेश का घर आने-जाने का कोई समय निर्धारित नहीं था। कॉलोनी में भी यह चर्चा है कि वो कोई नशा लेता था, जिसके चलते मानसिक रूप से परेशान रहता था और उसका इलाज भी ग्वालियर में हुआ था।
शिवपुरी में बढ़ते नशे के खिलाफ जहां शहरवासियों में रोष है और आए दिन धरना-प्रदर्शन व रैलियां की जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर नशे के खिलाफ पुलिस की गति उतनी तेज नहीं है, जितनी उम्मीद की जा रही थी। इसके पीछे मुख्य वजह यही है कि खुद पुलिसकर्मी या तो नशे की गिरफ्त में हैं या फिर वे कारोबार में हिस्सेदार हैं। शिवानी की मौत के बाद देहात थाने में पदस्थ आरक्षक का नाम भी सामने आया था, लेकिन बताते हैं कि वो अभी भी वर्दी पहनकर पुलिस की नौकरी कर रहा है। विभाग की बदनामी न हो, इसलिए शायद अधिकारी भी उतनी सक्रियता नहीं दिखा रहे।
गौरतलब है कि शिवपुरी में नशे के चलते महज एक सप्ताह बाद ही एक और मौत हो गई। सात दिन पूर्व नवाब साहब रोडपर रहने वाली शिवानी की मौत स्मैक व नशीले इंजेक्शन के ओवरडोज से हुई थी। इस घटना के सातवें दिन आज शनिवार को पुलिस आरक्षक की लाश मिली, जिसके बारे में भी बताया जाता है कि वो नशे का आदी था और उसके पास से भी नशे का कुछ सामान मिला था, जिसे पुलिस ने अलग कर दिया।
विवेक अग्रवाल, प्रभारी एसपी
डॉ. दिनेश राजपूत, चिकित्सक जिला अस्पताल शिवपुरी