शिकायत आई तो करेंगे कार्रवाई
जानकारी लगते ही हमने दो टीमें बेरखेडी गांव भेजी, परिजनों के कथन लिए लेकिन उनके द्वारा कोई शिकायत नहीं की गई है। वह आपसी मामला है यदि शिकायत आएगी तो कार्रवाई होगी।
सुजीत सिंह भदौरिया
जानकारी लगते ही हमने दो टीमें बेरखेडी गांव भेजी, परिजनों के कथन लिए लेकिन उनके द्वारा कोई शिकायत नहीं की गई है। वह आपसी मामला है यदि शिकायत आएगी तो कार्रवाई होगी।
सुजीत सिंह भदौरिया
दो दिन पहले खरैह में निकाला था जुलूस
खरैह/शिवपुरी. बदरवास जनपद के ग्राम खरैह की आदिवासी बस्ती में चार दिन पूर्व लिए गए शराबबंदी के फैसले के विरुद्ध तीन युवक रविवार की रात को शराब पीकर आ गए। बताते हैं कि परिवार की महिलाओं ने समाज के लोगों को वो बैठक याद दिलाते हुए कहा कि इन लोगों ने नियम तोड़ दिया। बस फिर क्या था, सोमवार की सुबह जब शराब पीने वाले युवकों से जुर्माना भरने के लिए कहा, तो वे बोले कि हमारे पास पैसा तो नहीं है, इसलिए जो सजा देनी है, दे दो। इसके बाद तीनों युवकों का मुंडन करके गांव में जुलूस निकाला गया। आदिवासी समाज के लोगों ने यह कदम इसलिए उठाया, ताकि दूसरों को सबक मिल सके और फिर कोई भी इस नियम को तोडऩे का प्रयास न करे। ग्राम खरैह में 8 0 परिवारों की आदिवासी बस्ती है, जहां पर बीते 13 सितंबर को आदिवासियों की पंचायत हुई, जिसमें यह तय किया गया कि कोई भी व्यक्ति शराब नहीं पीएगा। यदि किसी ने नियम को तोड़ा तो उसे 11 हजार रुपए का जुर्माना देना पड़ेगा। पंचायत के बाद तीन दिन तक किसी ने शराब नहीं पी, लेकिन 17 सितंबर को गांव के सतीश, विक्रम व फोटो आदिवासी, शराब पीकर घर आ गए। चूंकि शराबबंदी का निर्णय होने के बाद से सभी परिवार की महिलाएं खुश थीं, लेकिन जैसे ही यह तीनों लोग शराब पीकर घर पहुंचे तो परिवार के लोगों ने पंचायत के लोगों को बताया कि इन लोगों ने नियम तोड़ा है। सोमवार सुबह समाज की फिर बैठक हुई, जिसमें तीनों युवकों से कहा गया कि जुर्माने की राशि जमा कराओ। चूंकि तीनों पर पैसा नहीं था, तो वे बोले कि जो हमें सजा देनी है, दे लो, हम विरोध नहीं करेंगे। समाज के लोगों ने कुछ ऐसा करने का मन बनाया, ताकि दूसरे लोग फिर ऐसी गलती न दोहराएं। इसलिए तीनों युवकों का मुंडन करके, गले में जूतों की माला डालकर ढोल-नगाड़ों के साथ गांव में जुलूस निकाला। जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीणजन भी मौजूद रहे। तीनों युवकों ने भी यह स्वीकार किया है कि हमने अपनी मर्जी से ही यह मुंडन करवाया है। चूंकि अब तीनों युवक ही मान रहे हैं कि हमने पंचायत के आदेश का पालन नहीं किया, इसलिए हमने पैसा न देने की बजाए सजा को स्वीकार कर लिया था।