ऐसी स्थिति में इन गरीब परिवारो ने लॉकडाउन जैसे संकट में खाने के लिए दाने-दाने को मोहताज बने हुए है। बड़ी बात यह है कि यह परिवार इन 4 सालो में दर्जनों बार सचिव से लेकर कई अधिकारियो के पास गुहार लगा चुके है लेकिन अभी तक इनकी सुनवाई नही हुई।
जानकारी के मुताबिक एक तरफ जहां सरकार से लेकर अधिकारी आदिवासी लोगो के उत्थान के लिए हर तरफ काम करते हुए दिखाई देते है वही दूसरी तरफ दुल्हारा के दो दर्जन आदिवासी परिवार ऐसे है जिन पर बीपीएल कार्ड तो है, लेकिन उन कार्ड पर खाद्यान्न से लेकर अन्य कोई सुविधा नही मिलती।
ग्रामीण तुलाराम आदिवासी, अमर सिंह आदिवासी सहित अन्य ने बताया कि कंट्रोल की दुकान पर राशन लेने जाते है तो सैल्समैन बोलता है कि तुम लोगो की पात्रता पर्ची नही है इसलिए राशन नही मिलेगा।
इस बारे में गांव के सचिव से भी कई बार बोला लेकिन वह भी हर बार बोल देता है कि जल्द वह पर्ची बनवा देगा, लेकिन अभी तक कुछ नही हुआ। पीडि़त परिवारो का कहना है कि वह कई बार जनसुनवाई से लेकर अन्य अधिकारियो को अपनी समस्या बता चुके लेकिन उनकी कोई सुनवाई नही होती।
अभी लॉकडाउन के कारण कोई मजदूरी भी नही मिल रही, जैसे-तैसे गांव में लोगो से मांग कर अपना काम चला रहे है। अब स्थिति बहुत खराब हो गई है और सभी भूखो मरने की कगार पर है।
यह बोले जिम्मेदार- मैं इन परिवारो के राशन कार्ड की पर्ची के बारे में कई बार फूड आफिसर से बोल चुका हूॅ। इसके बाद भी अभी तक इनकी पात्रता पर्ची नही आई। मेरे हाथ में कुछ नही है।
लक्ष्मण धाकड़, सचिव, दुल्हारा यह बोली एसडीएम- खाद्यान्न पर्चियां भोपाल से रूकी है। फिर भी मैं मामले को दिखवा लेती हूॅ। सभी को शासन की तरफ से निशुल्क राशन उपलब्ध कराया जाएगा।
पल्लवी वैध, एसडीएम, पोहरी