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डेंगू के डंक से दम तोड़ रहे लोग, विभाग अनभिज्ञ

locationशिवपुरीPublished: Nov 12, 2021 06:51:18 pm

Submitted by:

Shailendra Sharma

शासकीय अस्पताल में नहीं जांच की सुविधा..वक्त पर इलाज न मिलने से जा रही जान..
 

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शिवपुरी/बदरवास. एक तरफ डेंगू ओर अन्य बीमारियों पर रोकथाम हेतु स्वास्थ विभाग प्रचार प्रसार एवं हर स्वास्थ केंद्र पर जांच की सुविधा देने की बात कह रहा है लेकिन बदरवास में अगर देखा जाए तो वर्तमान में प्लेटलेट्स कम होने की सर्वधिक समस्या सामने आई है और डेंगू के डंक के कारण पांच लोग दम तोड़ चुके हैं जबकि एक दर्जन से ज्यादा उपचार करा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग सुविधाओं के दावों का कागजी घोड़ा दौड़ा रहा है। हालात ये हैं कि जो आर्थिक रूप से सम्पन्न हैं वह तो हर स्तर पर उपचार करा रहे है लेकिन जिनकी आर्थिक व्यवस्था नही हैं वह उपचार और जांच के अभाव में दम तोड़ रहे हैं।

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केस-1
बदरवास जनपद की ग्राम पंचायत झंडी के पूर्व सरपंच सतीश यादव बहादुरा की पत्नी पप्पी यादव उम्र 30 वर्ष को अचानक बुखार आया और जांच कराई तो महज 23 हजार प्लेटलेट्स बचीं थी जिसे पहले ग्वालियर के जयारोग्य और फिर बाद में दिल्ली के वेदांता अस्पताल ले जाया गया जहां उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। अगर पीएससी खतोरा पर जांच सुविधा उपलब्ध होती तो बीमारी बड़ा रूप लेने से पहिले पकड़ में आती और उचित उपचार मिलता यो मृत्यु नहीं होती। मृतका के पति सतीश यादव ने बताया कि पहले बुखार आया था लेकिन खतोरा बदरवास में कोई सुविधा नहीं होने के कारण शिवपुरी पहुंचे जहां 26 हजार प्लेटलेट्स बताईं गईं तो ग्वालियर ले गए और फिर वहां से दिल्ली ले गए लेकिन पत्नी की जान नहीं बचा सके।

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केस-2
बदरवास तहसील में पटवारी के पद पर पदस्थ गिर्राज हिंडोलिया की छोटी सिस्टर 15 वर्षीय नीतू उर्फ जूली को तबीयत बिगड़ने पर ग्वालियर के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां जांच में बता चला कि 10 हजार प्लेटलेट्स ही बची हैं और उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। मृतका जूली के बड़े भाई गिर्राज हिंदोलिया ने बताया कि जुली मेरी छोटी बहन थी जिसे पहले बुखार आया था। हम उसे लेकर उपचार हेतु ग्वालियर गए जहां 10 हजार प्लेटिंस बचीं ओर इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। उनका कहना है कि अगर जांच सुविधा होती तो शायद जूली की जान बचा सकते थे।

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जिंदगी और मौत से जूझ रहे मरीज
बदरवास में अमित जाटव जिन्हें बदरवास में बुखार आया और उपचार कराते रहे जांच सुविधा उपलब्ध ना होने पर गुना ले जाया गया। यहां जांच में पता चला कि उनकी 25 हजार प्लेटलेट्स ही बची हैं फिलहाल अमित का उपचार चल रहा है और वो जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहे हैं।

 

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जांच सुविधा न होना बनी परेशानी
बदरवास सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं उसके अंतर्गत आने वाले खतौरा एवं रनोत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी जांच सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण हालात बिगड़ रहे हैं। बताया जा रहा है कि बदरवास में लैब टेक्नीशियन की जगह तो है लेकिन वह अन्य स्थान पर अटैच है इसके अलावा जिम्मेदारों के द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिसका खामियाजा लोगों को जान देकर चुकाना पड़ रहा है।

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