प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीब परिवारों को 2 लाख रुपए में आवास मिलना था। जिसके लिए पहले सभी से 20-20 हजार रुपए जमा करवाए गए थे और शेष 1 लाख 80 हजार रुपए किश्तों में लिए जाएंगे। लगभग चार माह पूर्व एकाएक इस योजना में बदलाव आया और यह तय किया गया कि जो हितग्राही एक साथ 1.80 लाख रुपए जमा कर देगा, उसे आवास दे दिया जाएगा। जो यह राशि जमा नही करेंगे, उसके लिए उन्हें बैंक से लोन दिलवाया जाएगा। हितग्राहियों के लिए बैंक से लोन के बदले में जो किश्त तय की गई, उसे जोडऩे पर प्रत्येक हितग्राही को आवास के बदले में 4 लाख रुपए जमा करने पड़ेंगे। शुरुआत में इस प्रक्रिया का हितग्राहियों ने यह कहकर विरोध किया था कि हमसे तो 2 लाख रुपए में आवास की बात कही थी, फिर 4 लाख रुपए क्यों वसूले जा रहे हैं?।
बैंक प्रक्रिया भी अटकी
आशियाने का इंतजार कर रहे गरीब परिवारों पर इतनी राशि नहीं है कि वे एक बार में 1 लाख 8 0 हजार रुपए जमा कर सकें। यही वजह है कि बाद में सभी हितग्राही बैंक से लोन के लिए तैयार हो गए। लेकिन बैंक प्रक्रिया में भी जमीन के बदलाव का पेंच फंस गया। क्योंकि बैंक लोन देने से पूर्व उक्त प्लॉट जिस जमीन पर बनाया गया है, वो टाउन एंड कंट्री प्लान से पास हो, लेकिन जिस जमीन पर भवन बनाए गए हैं, वो अभी भी शासकीय रिकार्ड में कृषि भूमि दर्ज है, जिसके चलते टाउन एंड कंट्री प्लान से वो स्वीकृति नहीं मिल पाई। अब प्रशासन उक्त जमीन का स्वरूप बदलवाने के लिए पत्राचार कर रहा है, ताकि कृषि भूमि को आबादी में तब्दील कराया जा सके और हितग्राहियों को बैंक से लोन मिल सके।
यह बोले नपा के आवास प्रभारी
बैंक से लोन करवाने के लिए सभी हितग्राही तैयार हैं, लेकिन प्रधानमंत्री आवास जिस जमीन पर बने हैं, वो रिकार्ड में अभी कृषि भूमि दर्ज है। उसे आबादी में तब्दील कराने के लिए पत्र भेजा है, जल्द ही जमीन का बदलाव हो जाएगा। फिर हम बैंक वालों के साथ मिलकर शिविर लगाएंगे तथा लॉटरी सिस्टम से हितग्राहियों को आवास देंगे। आवास का काम भी 80 फीसदी हो चुका है।
केएस शर्मा, सब इंजीनियर व आवास प्रभारी नपा