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प्रधानमंत्री आवासों में फंसा डायवर्सन का पेंच

locationशिवपुरीPublished: Nov 16, 2019 04:50:30 pm

Submitted by:

Rakesh shukla

कृषि भूमि के आबादी में न बदलने से बैंक नहीं कर रही हितग्राहियों को फायनेंस
 
1030 गरीब परिवारों को आशियाने का इंतजार, लोन प्रक्रिया भी अटकी

प्रधानमंत्री आवासों में फंसा डायवर्सन का पेंच

प्रधानमंत्री आवासों में फंसा डायवर्सन का पेंच

शिवपुरी। शहर में नगरपालिका द्वारा बनवाए जा रहे गरीब परिवारों के लिए प्रधानमंत्री आवास में अब फिर एक नया पेंच फंस गया। जिस जमीन पर प्रधानमंत्री आवास की बिल्डिंग बनाई जा रही है, वह अभी तक रिकार्ड में कृषि भूमि ही दर्ज है, जिसके चलते हितग्राहियों के लिए बैंक भी लोन फायनेंस नहीं कर रहा। जबकि बदली हुई प्रक्रिया में अब हितग्राही को आवास के लिए बैंक से लोन लेना होगा, लेकिन वो तभी मिलेगा, जब कृषि भूमि को आबादी में तब्दील किया जाएगा। यही वजह है कि शहर के 1030 गरीब परिवारों को आशियाने का इंतजार है और आवास की प्रक्रिया नियमों में उलझती जा रही है।
गौरतलब है कि शिवपुरी मेडिकल कॉलेज से कुछ दूरी पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 1030 गरीब परिवारों के लिए आवास दो साल पूर्व से बनाए जा रहे हैं। यह आवास बनाना जब ठेकेदार ने शुरू किए थे, तो उसने यह दावा किया था कि मेरा भुगतान समय पर होता रहेगा तो मैं इन आवासों को एक साल से पहले ही बनाकर दे दूंगा। लेकिन फिर नगरपालिका से भुगतान की प्रक्रिया अटकी तो ठेकेदार को भी अपना काम बंद करना पड़ा था। लंबे इंतजार के बाद जब राशि मिली तो फिर बंद काम को शुरू करने में भी अधिक समय लग गया। इस फेर में आवास योजना को दो साल गुजर गए। नगरीय प्रशासन से मिलने वाली राशि में विलंब होने से जहां आवास का काम बीच में रोकना पड़ा, वहीं अब हितग्राही भी नगरपालिका दफ्तर के चक्कर लगा-लगाकर थक चुके हैं, क्योंकि दो साल पूर्व उनसे 20-20 हजार रुपए जमा करवा लिए, लेकिन उन्हें आवास अभी तक नहीं मिल सका।
फिर आया बैंक लोन का मुद्दा

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीब परिवारों को 2 लाख रुपए में आवास मिलना था। जिसके लिए पहले सभी से 20-20 हजार रुपए जमा करवाए गए थे और शेष 1 लाख 80 हजार रुपए किश्तों में लिए जाएंगे। लगभग चार माह पूर्व एकाएक इस योजना में बदलाव आया और यह तय किया गया कि जो हितग्राही एक साथ 1.80 लाख रुपए जमा कर देगा, उसे आवास दे दिया जाएगा। जो यह राशि जमा नही करेंगे, उसके लिए उन्हें बैंक से लोन दिलवाया जाएगा। हितग्राहियों के लिए बैंक से लोन के बदले में जो किश्त तय की गई, उसे जोडऩे पर प्रत्येक हितग्राही को आवास के बदले में 4 लाख रुपए जमा करने पड़ेंगे। शुरुआत में इस प्रक्रिया का हितग्राहियों ने यह कहकर विरोध किया था कि हमसे तो 2 लाख रुपए में आवास की बात कही थी, फिर 4 लाख रुपए क्यों वसूले जा रहे हैं?।

बैंक प्रक्रिया भी अटकी
आशियाने का इंतजार कर रहे गरीब परिवारों पर इतनी राशि नहीं है कि वे एक बार में 1 लाख 8 0 हजार रुपए जमा कर सकें। यही वजह है कि बाद में सभी हितग्राही बैंक से लोन के लिए तैयार हो गए। लेकिन बैंक प्रक्रिया में भी जमीन के बदलाव का पेंच फंस गया। क्योंकि बैंक लोन देने से पूर्व उक्त प्लॉट जिस जमीन पर बनाया गया है, वो टाउन एंड कंट्री प्लान से पास हो, लेकिन जिस जमीन पर भवन बनाए गए हैं, वो अभी भी शासकीय रिकार्ड में कृषि भूमि दर्ज है, जिसके चलते टाउन एंड कंट्री प्लान से वो स्वीकृति नहीं मिल पाई। अब प्रशासन उक्त जमीन का स्वरूप बदलवाने के लिए पत्राचार कर रहा है, ताकि कृषि भूमि को आबादी में तब्दील कराया जा सके और हितग्राहियों को बैंक से लोन मिल सके।

यह बोले नपा के आवास प्रभारी
बैंक से लोन करवाने के लिए सभी हितग्राही तैयार हैं, लेकिन प्रधानमंत्री आवास जिस जमीन पर बने हैं, वो रिकार्ड में अभी कृषि भूमि दर्ज है। उसे आबादी में तब्दील कराने के लिए पत्र भेजा है, जल्द ही जमीन का बदलाव हो जाएगा। फिर हम बैंक वालों के साथ मिलकर शिविर लगाएंगे तथा लॉटरी सिस्टम से हितग्राहियों को आवास देंगे। आवास का काम भी 80 फीसदी हो चुका है।
केएस शर्मा, सब इंजीनियर व आवास प्रभारी नपा

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