script14.77 लाख रुपए के रजिस्ट्री फर्जीवाड़ा मामले में ईओडब्ल्यू ने दर्ज की एफ आइआर | EOW filed FIR for Rs 14.77 lakh registry fraud case | Patrika News

14.77 लाख रुपए के रजिस्ट्री फर्जीवाड़ा मामले में ईओडब्ल्यू ने दर्ज की एफ आइआर

locationशिवपुरीPublished: Aug 13, 2020 10:03:33 pm

Submitted by:

shatrughan gupta

स्टाम्प ड्यूटी घोटाले में 11 नामजद सहित अन्य पर कसा शिकंजा: सिंचित भूमि को असिंंचित बताकर कर डाली खरीद-फ रोख्त।

14.77 लाख रुपए के रजिस्ट्री फर्जीवाड़ा मामले में ईओडब्ल्यू ने दर्ज की एफ आइआर

14.77 लाख रुपए के रजिस्ट्री फर्जीवाड़ा मामले में ईओडब्ल्यू ने दर्ज की एफ आइआर

शिवपुरी. जिले के कोलारस तहसील अंतर्गत ग्राम डेहरवारा में सिंचित भूमि को असिंचित बताकर दस्तावेजों में कूट रचना करके षडय़ंत्रपूर्वक शासन को स्टाम्प ड्यूटी की क्षति कार्य करने वाले शिवपुरी के 11 क्रेता-विक्रेताओं सहित अन्य के विरुद्ध आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा ग्वालियर ईओडब्ल्यू ने धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में अपराध पंजीबद्ध कर लिया है। यह कार्रवाई ईओडब्ल्यू एसपी अमित सिंह के निर्देशन में की गई। इस प्रकरण में उप पंजीयक कार्यालय की भूमिका भी अब जांच के घेरे में आती दिखाई दे रही है। मालूम हो कि डेहरवारा निवासी एक व्यक्ति ने ईओडब्ल्यू को शिकायत की थी कि भूमि विक्रेेता मनजीत कौर निवासी सिद्धेश्वर कॉलोनी शिवपुरी क्रेता सुखचैन सिंह निवासी बांडा तहसील अमृतसर ने ग्राम डेहरवारा तहसील कोलारस जिला शिवपुरी की भूमि सर्वे क्रमांक 1609, 1610, 1612, 1613, 1614, 1691, 1810, 1811, 1812, 1815 कुल रकबा 13.79 हेक्टेयर को विक्रय पत्र क्रमांक एमपी 392922016, 1674290 एवं एमपी 392922016, 1674 283, एमपी 39292 2016, 1674 296 के माध्यम से असिंचित बताकर कूट रचित खसरा तैयार किया गया, जबकि दस्तावेजों में यह भूमि सिंचित थी। इस प्रकार साजिशन इस मामले में लाखों रुपए के स्टांप शुल्क की हानि शासन को पहुंचाए जाने का ताना-बाना बुना गया। इस प्रकरण में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि उक्त विक्रय पत्रों के संबंध में रजिस्ट्री लेखक, सर्विस प्रोवाइडर, उसके पति व उप पंजीयकए उप पंजीयक के बाबू और जिला पंजीयक की भूमिका संदिग्ध है। जिन्होंने जानते बूझते तथ्यों की जांच किए बगैर रजिस्ट्री संपादित की। इस पर ईओडब्ल्यू ने शिकायत क्रमांक 189 ध्18 दर्ज कर अपने स्तर पर जांच प्रारंभ की।
जांच में मिले ये तथ्य
ईओडब्ल्यू की जांच से स्पष्ट है इन विक्रय पत्रों के गड़बड़झाले मे विके्रेता मनजीत कौर पत्नी रवींद्र सिंह उर्फ भूपेंद्र सिंह सिख, सुखविंदर सिंह, नरेंद्र सिंह, प्रियंका नाबमजीत, मलविंदर सिंह नाबमजीत पुत्र पुत्री गण पवेंद्र सिंह उर्फ भूपेंद्र सिंह सिंह निवासी सिद्धेश्वर कॉलोनी शिवपुरी, विक्रय पत्र के सहमति कर्ता मुख्तियार सिंह निवासी ग्राम लेहरा मोहब्बत तहसील जिला बठिंडा पंजाब और भूमि के क्रेता सुखचैन सिंह पुत्र जसपाल सिंह जट सिख निवासी बनडाला नव पिंड तहसील अमृतसर पंजाब, हरजिंदर सिंह पुत्र जसवीर सिंह जट सिख निवासी घरका तहसील व जिला तरनतारन पंजाब गुरविंदर सिंह पुत्र दर्शन सिंह निवासी सरहाली कलां पंंजाब, चरनजीत सिंह पुत्र सविंदर सिंह्र निवासी सरहाली कलां हाल निवासी भड़ाबावड़ी तहसील जिला शिवपुरी मप्र एवं अन्य के द्वारा उक्त भूमि क्रय विक्रय पत्रों में स्टांप ड्यूटी बचाने के आशय से यह फर्जीवाड़ा किया गया। जांच में यह तथ्य सामने आया कि ग्राम डेहरवारा के उक्त सर्वे नंबर में 2016-17 में तहसील के अभिलेख में भूमि सिंचित दर्ज है, जांच में पता चला कि जिला पंजीयक कार्यालय में पेश दस्तावेजों में संचित की टीप अंकित ही नहीं थी। जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि जिला पंजीयक कार्यालय में पंजीयन के लिए पेश ग्राम डेहरवारा एवं मड़ीखेड़ा के कृषि भूमि संबंधी खसरा एवं तहसील में संधारित उक्त दस्तावेजों के फ ोटो साइज में भी काफ ी अंतर है। इससे प्रथम दृष्टया यह सिद्ध होता है कि क्रेता और विक्रेता द्वारा अन्य लोगों की मदद से कूट रचित खसरा तैयार कर उक्त खसरों के आधार पर सिंचित भूमि को असिंचित बताकर विक्रय पत्र संपादित कराया है। इस कृत्य से शासन को 14 लाख 77 हजार 11 की आर्थिक क्षति पहुंचाई गई। जिस पर ईओडब्ल्यू ने इनके विरुद्ध धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी का अपराध पंजीबद्ध कर लिया है। सूत्रों की मानें तो अब जांच के दायरे में इन 11 नामजद आरोपियों के अलावा उप पंजीयक कार्यालय से लेकर अन्य स्तर पर भी कई लोग आ रहे हैं।
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