ईओडब्ल्यू की जांच से स्पष्ट है इन विक्रय पत्रों के गड़बड़झाले मे विके्रेता मनजीत कौर पत्नी रवींद्र सिंह उर्फ भूपेंद्र सिंह सिख, सुखविंदर सिंह, नरेंद्र सिंह, प्रियंका नाबमजीत, मलविंदर सिंह नाबमजीत पुत्र पुत्री गण पवेंद्र सिंह उर्फ भूपेंद्र सिंह सिंह निवासी सिद्धेश्वर कॉलोनी शिवपुरी, विक्रय पत्र के सहमति कर्ता मुख्तियार सिंह निवासी ग्राम लेहरा मोहब्बत तहसील जिला बठिंडा पंजाब और भूमि के क्रेता सुखचैन सिंह पुत्र जसपाल सिंह जट सिख निवासी बनडाला नव पिंड तहसील अमृतसर पंजाब, हरजिंदर सिंह पुत्र जसवीर सिंह जट सिख निवासी घरका तहसील व जिला तरनतारन पंजाब गुरविंदर सिंह पुत्र दर्शन सिंह निवासी सरहाली कलां पंंजाब, चरनजीत सिंह पुत्र सविंदर सिंह्र निवासी सरहाली कलां हाल निवासी भड़ाबावड़ी तहसील जिला शिवपुरी मप्र एवं अन्य के द्वारा उक्त भूमि क्रय विक्रय पत्रों में स्टांप ड्यूटी बचाने के आशय से यह फर्जीवाड़ा किया गया। जांच में यह तथ्य सामने आया कि ग्राम डेहरवारा के उक्त सर्वे नंबर में 2016-17 में तहसील के अभिलेख में भूमि सिंचित दर्ज है, जांच में पता चला कि जिला पंजीयक कार्यालय में पेश दस्तावेजों में संचित की टीप अंकित ही नहीं थी। जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि जिला पंजीयक कार्यालय में पंजीयन के लिए पेश ग्राम डेहरवारा एवं मड़ीखेड़ा के कृषि भूमि संबंधी खसरा एवं तहसील में संधारित उक्त दस्तावेजों के फ ोटो साइज में भी काफ ी अंतर है। इससे प्रथम दृष्टया यह सिद्ध होता है कि क्रेता और विक्रेता द्वारा अन्य लोगों की मदद से कूट रचित खसरा तैयार कर उक्त खसरों के आधार पर सिंचित भूमि को असिंचित बताकर विक्रय पत्र संपादित कराया है। इस कृत्य से शासन को 14 लाख 77 हजार 11 की आर्थिक क्षति पहुंचाई गई। जिस पर ईओडब्ल्यू ने इनके विरुद्ध धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी का अपराध पंजीबद्ध कर लिया है। सूत्रों की मानें तो अब जांच के दायरे में इन 11 नामजद आरोपियों के अलावा उप पंजीयक कार्यालय से लेकर अन्य स्तर पर भी कई लोग आ रहे हैं।