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मैदान में ट्रॉली भरकर कद्दू फेंक गया किसान, लोग छांट-छांट कर घर ले गए

locationशिवपुरीPublished: Jul 07, 2020 11:11:28 pm

अच्छे दाम व खरीदार न मिलने से नहीं निकल पा रही लागत

मैदान में ट्रॉली भरकर कद्दू फेंक गया किसान, लोग छांट-छांट कर घर ले गए

मैदान में ट्रॉली भरकर कद्दू फेंक गया किसान, लोग छांट-छांट कर घर ले गए

शिवपुरी. इस बार कद्दू की पैदावार तो अच्छी हुई, लेकिन किसान को उसके अच्छे दाम व खरीदार न मिलने की वजह से लागत भी नहीं निकल पा रही। मंगलवार को एक ऐसे ही परेशान किसान ने अपनी कद्दू से भरी ट्रॉली करबला रोड किनारे खुले मैदान में खाली कर दी। वहां से निकलने वाले लोगों की जब थोक में पड़े कद्दुओं पर नजर पड़ी तो वे रुक कर उसमें से सब्जी लायक कद्दू छांटकर ले गए।
गौरतलब है कि शिवपुरी जिले में कद्दू की बंपर पैदावार होती है, जो इस बार भी हुई। लेकिन कद्दू की मांग न होने तथा बाहर न जाने की वजह से न तो उसके अच्छे दाम मिल रहे और न ही कद्दू के खरीदार। थोक में कद्दू के दाम 2 रुपए किलो हैं, जो बेहद कम हैं। यहां से भरकर कद्दू भरकर भेजने पर बाहर भी 3 से साढ़े तीन रुपए किलो दाम में खरीदा जा रहा है, जिसमें आड़तिया को भी कुछ नहीं मिल पा रहा, इसलिए वो भी इसे खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। पहले शिवपुरी का कद्दू प्रदेश से बाहर राजस्थान व यूपी तक जाता था, लेकिन इस बार बाहर से मांग न होने की वजह से कद्दू को खरीदने वाले नही मिल रहे। यही वजह है कि किसान ट्रॉली भरकर कद्दू ला रहा है, लेकिन उसके दाम बहुत कम होने की वजह से किसान की लागत तक नहीं निकल पा रही। इतना ही नहीं इस बार कद्दू की क्वालिटी भी ठीक नहीं है और जो चमक पिछले वर्षों में आती थी, वो भी नहीं है। यही वजह है कि किसान को कद्दू का उत्पादन इस बार महंगा पड़ गया। करबला रोड किनारे कद्दू फेंकने वाला किसान तो मौके पर नहीं मिल पाया, लेकिन वहां मौजूद लोगों ने बताया कि किसान कद्दू फेंकते समय गुस्से में कह रहा था कि दाम तो अच्छे मिल नही रहे और उसे खरीदने वाले के पीछे भी घूमना पड़ रहा था, इसलिए वो यह फेंक रहा है।
बोला कारोबारी: क्वालिटी कमजोर मांग कम होने से बने ऐसे हालात

इस बार कद्दू की क्वालिटी कमजोर है तथा उसमें चमक नही है। वहीं बाहर से जो कद्दू की मांग रहती थी, इस बार वो भी नहीं है। 2 रुपए में कद्दू खरीदकर 3 या साढ़े तीन रुपए किलो में भेजने पर कुछ नहीं मिल पा रहा। इसलिए कद्दू के दाम इतने कम हैं।
इरफान राईन, थोक सब्जी विके्रता व कारोबारी

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