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शिवपुरी

अस्पतालों में प्रसूताओं को नहीं मिल रहा भोजन

चाय तक होटल से पी रहीं प्रसूताएं, भोजन की राशि में हो रहा बंदरबांट

शिवपुरीFeb 27, 2019 / 11:12 pm

Rakesh shukla

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अस्पतालों में प्रसूताओं को नहीं मिल रहा भोजन

शिवपुरी. जिले के शासकीय अस्पतालों में प्रसूताओं को दिए जाने वाले भोजन का एक बड़ा घोटाला सामने आया है। इस घोटाले के खिलाफ में जिला पंचायत की बैठक में भी आवाज उठाई गई, लेकिन अधिकारियों की साठगांठ के चलते मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। स्थिति यह है कि कुछ दिन पूर्व जिला अस्पताल में निरीक्षण के दौरान जहां प्रभारी मंत्री के सामने प्रसूताओं को लड्डू नहीं दिए जाने का मामला सामने आया था। वहीं अब अंचल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसूताओं को खाना तो दूर नाश्ता व चाय तक नहीं मिल रहा है। जिले के अधिकांश अस्पतालों में स्वास्थ्य विभाग के प्रोटोकॉल को ताक पर रखकर प्रसव के चंद घंटों बाद ही घर भेजा जा रहा है, ताकि उनके भोजन आदि का खर्चा न देना पड़े। जिला पंचायत के स्वास्थ्य समिति अध्यक्ष योगेंद्र रघुवंशी का कहना है कि भाजपा सरकार में शुरू हुआ यह घोटाला, कांग्रेस की सरकार में भी नहीं थम रहा।

अंचल के अस्पतालों में भोजन का हाल
कोलारस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र: अस्पताल में मंगलवार-बुधवार की दरमियानी रात 12 बजे ग्राम मोहरा निवासी सखी धाकड़ अस्पताल में भर्ती हुई। बुधवार की दोपहर डिलीवरी हुई, लेकिन यहां खाना तो दूर सुबह की चाय तक प्रसूता के लिए होटल से लाना पड़ी। यह बात प्रसूता व उनके परिजनों ने बताई।
ग्राम देहरदागणेश की रामश्री आदिवासी की भी कोलारस अस्पताल में डिलेवरी हुई, लेकिन उसे भी न तो खाना मिला और न लड्डू व चाय। महिला के परिजनों ने होटल से चाय व खाने की व्यवस्था की।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बदरवास : स्वास्थ्य विभाग के प्रोटोकॉल के मुताबिक सामान्य डिलेवरी होने पर भी प्रसूता को 48 घंटे तक अस्पताल में भर्ती रखा जाना चाहिए। लेकिन बदरवास अस्पताल में डिलेवरी होने के कुछ घंटे बाद ही अस्पताल से रवानगी दे दी जाती है। चूंकि यहां पर प्रसूताओं को भर्ती रखा ही नहीं जाता, तो फिर खाना व नाश्ते का सवाल ही नहीं उठता।
पोहरी-बैराड़ में भी ऐसी ही स्थिति : पोहरी अस्पताल में बड़वानी की सरोज को डिलेवरी हुई, वो रात से भर्ती थी और दोपहर 12 बजे डिलेवरी हुई। लेकिन उसे शाम चार बजे तक न तो कोई नाश्ता मिला था और न ही कोई खाना। बैराड़ अस्पताल में भी प्रसूताओं को खाना या पौष्टिक लड्डू नहीं दिए जाते, जबकि हर महीने प्रसूताओं के भोजन के नाम पर बड़ी राशि का भुगतान कागजों में करके जिम्मेदार अपनी जेबों में भर रहे हैं। यह तो महज उदाहरण हैं, जबकि जिले भर में मौजूद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों सहित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रसव तो हर दिन हो रहे हैं, लेकिन शासन द्वारा प्रसूताओं को दिए जाने वाले भोजन व नाश्ते के नाम पर महज कागजों में भुगतान किया जा रहा है। प्रसूताओं को मिलने वाले भोजन के नाम पर यह घोटाला लंबे समय से स्वास्थ्य विभाग में चल रहा है।
एक प्रसूता के लिए मिलते हैं 270 रुपए
सुरक्षित प्रसव के लिए प्रसूताओं को अस्पताल में जब भर्ती किया जाता है, तो उसे प्रसव के उपरांत तीन दिन तक रखने का नियम है। इस दौरान उसे सुबह नाश्ते के साथ बिसवार (मेवों का चूरा) के लड्डू के अलावा दोपहर व रात का भोजन दिया जाना चाहिए। इसके लिए शासन से एक दिन की खुराक के बदले में 90 रुपए दिए जाते हैं, यानि एक प्रसूता के नाम पर 270 रुपए की राशि उसके नाश्ते व भोजन पर खर्च की जानी चाहिए। एक महीने में औसतन प्रसूताओं की संख्या 40 भी मानी जाए तो उसके भोजन के नाम पर हर महीने 10800 रुपए का घोटाला हो रहा है। यह तो एक केंद्र की स्थिति है, जबकि 8 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के अलावा डेढ़ दर्जन से अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी हैं, जहां डिलेवरी होती हैं।
प्रभारी मंत्री के आदेश पर आखिरकार पुलिस ने दर्ज की एफआईआर
जिला अस्पताल में प्रसूताओं की थाली से पौष्टिक लड्डू चोरी के मामले में प्रभारी मंत्री ने जब एफआईआर के आदेश दिए, तो पुलिस ने पहले मामला दस्तावेज के नाम पर लटकाया और फिर प्रकरण दर्ज किया तो बड़े पदाधिकारियों को छोडक़र छोटे कर्मचारियों को आरोपी बना दिया। महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस मंगलम संस्था द्वारा नियम विरुद्ध जिला अस्पताल में भोजन दिया जा रहा है, उस संस्था में सिविल सर्जन खुद उपाध्यक्ष हैं, जबकि कलक्टर अध्यक्ष तथा शहर के कई प्रबुद्धजन डायरेक्टर व सदस्य हैं।
जिला अस्पताल में प्रसूताओं को खाना देने का ठेका मंगलम संस्था ने ले रखा है। जिसमें भोजन तो दिया जा रहा है, लेकिन प्रसूता रो प्रसव उपरांत आई कमजोरी को दूर करने के लिए दिए जाने वाला मेवे वाला लड्डू गायब कर दिया गया। प्रभारी मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के सामने जब यह मामला आया, तो उन्होंने सिविल सर्जन व सीएमएचओ को निर्देश दिए कि एफआईआर दर्ज की जाए। उसी दिन सिविल सर्जन ने एक पत्र कोतवाली में दे दिया, लेकिन टीआई ने उस समय यह कहकर प्रकरण दर्ज नहीं किया कि कुछ मांगे गए दस्तावेज नहीं दिए गए। अब जबकि प्रभारी मंत्री गुरुवार को फिर शिवपुरी आ रहे हैं, तो आनन-फानन में पुलिस ने मंगलम संस्था के दो कर्मचारी रविंद्र लोधी व निसार खान के विरुद्ध धारा 409 (अमानत में खयानत), 34 के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया। इन दोनों कर्मचारियों की जिम्मेदारी खाना वितरण की थी। बड़ा सवाल यह है कि जब मंगलम के कर्ताधर्ता ही लड्डू नहीं बनवाएंगे, तो फिर यह कर्मचारी कहां से प्रसूताओं को लड्डू देंगे। लेकिन बड़ों को बचाने के फेर में छोटे कर्मचारियों की बलि चढ़ गई।
मंगलम के उक्त दोनों कर्मचारियों पर खाना वितरण की जिम्मेदारी थी, इसलिए प्राथमिक जांच में इन्हें दोषी मानकर प्रकरण दर्ज किया गया है। विवेचना में यदि कोई दूसरा नाम सामने आया तो उस पर भी कार्रवाई होगी।
बादाम सिंह यादव, टीआई कोतवाली

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