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शिवपुरी

गल्ला व्यापारी किसानों के नाम पर पा रहे सरकार का ‘समर्थन’

जिले में कई गल्ला व्यापारी इन दिनों बाजार में कम मूल्य पर खरीदा हुआ गेहूं उपार्जन केंद्रों पर ‘समर्थन’ मूल्य पर बेच रहे हैं। जब पत्रिका को इस बात की जानकारी लगी तो पत्रिका ने मामले की पड़ताल शुरू की। इस पड़ताल में उजागर हुआ कि एक कथित व्यापारी ने किसान बन कर कई किसानों के नाम पर रजिस्ट्रेशन करवा कर उपार्जन केंद्रों में गेहूं व चना बेचने का ताना बाना बुन लिया है।

शिवपुरीMay 19, 2020 / 10:21 pm

Rakesh shukla

गल्ला व्यापारी किसानों के नाम पर पा रहे सरकार का ‘समर्थन’

गल्ला व्यापारी किसानों के नाम पर पा रहे सरकार का ‘समर्थन’

शिवपुरी। जिले में कई गल्ला व्यापारी इन दिनों बाजार में कम मूल्य पर खरीदा हुआ गेहूं उपार्जन केंद्रों पर ‘समर्थन’ मूल्य पर बेच रहे हैं। जब पत्रिका को इस बात की जानकारी लगी तो पत्रिका ने मामले की पड़ताल शुरू की। इस पड़ताल में उजागर हुआ कि एक कथित व्यापारी ने किसान बन कर कई किसानों के नाम पर रजिस्ट्रेशन करवा कर उपार्जन केंद्रों में गेहूं व चना बेचने का ताना बाना बुन लिया है। वह बाजार से कम दामों में गेहूं खरीद कर अथवा गल्ला व्यापारियों से सांठ गांठ करके उनका गेहूं अथवा चना समर्थन मूल्य पर उपार्जन केंद्रों पर खपाएगा।
जानकारी के अनुसार मुकेश पुत्र बाला प्रसाद सोनी निवासी ग्राम कड़ेसरा तहसील कोलारस ने 27 फरवरी 2020 को कड़ेसरा और मेघोनाबड़ा के कई किसानों के नाम पर दर्ज जमीन के दस्तावेजों के आधार पर समर्थन मूल्य पर फसल विक्रय के लिए पंजीयन करवाया है। पंजीयन के अनुसार इन किसानों की जमीन के रकवा के आधार पर जो फसल उपार्जन केंद्र पर विक्रय की जाएगी उसका पैसा कोलारस के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में स्थित मुकेश सोनी के खाता क्रमांक 53029592626 में ही भुगतान किया जाएगा। पत्रिका को बताया गया कि इन किसानों में से कई को तो पता ही नहीं है कि उनकी जमीन के दस्तावेजों के आधार पर मुकेश सोनी ने पंजीयन करवा लिया है। जब कड़ेसरा के किसान रामजीलाल व सूरज सिंह से बात की गई तो उन्हें वास्तव में यह पता ही नही था कि उनकी जमीन के दस्तावेजों के आधार पर किसी मुकेश सोनी ने पंजीयन करवा लिया है। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी जमीन पर किसी मुकेश सोनी ने सिकमी किराएदार अथवा बटाईदार के रूप में खेती नहीं की है। ऐसे में विचारणीय पहलू यह है कि जब मुकेश सोनी ने न तो जमीन बटाई पर ली और न ही किसानों ने उसे पंजीयन के लिए अपनी जमीनों के दस्तावेज दिए तो फिर पंजीयन आखिर हो कैसे गए…? तो पता चला कि मुकेश सोनी ने स्वयं ही अपने मोबाइल से यह सारे पंजीयन किए हैं।

पंजीयनकर्ता ऑपरेटर व अधिकारियों की भी सांठ-गांठ
जब इस बात की पड़ताल की गई कि जब सूरज सिंह और रामजीलाल ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया ही नहीं है और न ही उन्होंने अपनी जमीन किसी मुकेश सोनी को किराए पर अथवा बटाई पर दी तो फिर पंजीयन कैसे हो गया?। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार यह घालमेल संस्था के अधिकारी और ऑपरेटर की मिलीभगत से किया जाता है। अगर जिले भर में इस तरह के पंजीयनों की पड़ताल की जाए तो ऐसे हजारों फर्जी पंजीयन निकलेंगे, जिनके आधार पर कई व्यापारी बाजार से खरीदा हुआ सस्ता गेहूं उपार्जन केंद्रों पर समर्थन मूल्य पर खपाएंगे।

फर्जी पंजीयन का ये है पूरा खेल
फर्जी पंजीयन क्यों कराए जाते हैं जब इस खेल को समझने के लिए सूत्रों से जानकारी ली तो पता चला कि वर्तमान में सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 1925 रूपए प्रति क्विंटल तय किया है, यानि कि उपार्जन केंद्रों में इस निर्धारित कीमत पर गेहूं बिकेगा। वहीं बाजार में गेहूं का दाम 1500 से 1600 रुपए तक चल रहा है। ऐसे में व्यापारी बाजार से गेहूं खरीद कर इन फर्जी पंजीयन के आधार पर समर्थन मूल्य पर बेच देंगे। ऐसे में उन्हें सीधा-सीधा 300 से 400 रुपए तक का प्रति क्विंटल पर लाभ होता है।

इनकी सुनें
-मैं पांच-छह साल से इन सभी किसानों की बटाई करवा रहा हूं। मैंने कोई फर्जीवाड़ा नहीं किया है, वह सब मेरे ही किसान हैं।
मुकेश सोनी, पंजीयनकर्ता


ये बोले किसान
-मैंने कहीं कोई गेहूं चना का पंजीयन नहीं करवाया है। मेरे नाम पर हुए पंजीयन की मुझे कोई जानकारी नहीं है। मुकेश सोनी ने मेरी जमीन पर कोई बटाईदारी नहीं की है, मैं अपनी जमीन पर स्वयं खेती करता हूं।
रामजीलाल, किसान
-मैंने इस साल कोई पंजीयन नहीं कराया है, मेरे यहां कोई मुकेश सोनी बटाईदारी करने नहीं आया। मेरे नाम पर हुए पंजीयन की मुझे कोई जानकारी नहीं है।
सूरज सिंह, किसान

ये बोले जिम्मेदार
-फिलहाल ऐसा कोई मामला मेरे संज्ञान में नहीं है, परंतु अगर किसी ने इस तरह का कोई फर्जी पंजीयन कराया है तो मैं मामले की जांच करवा कर वैधानिक कार्रवाई करूंगा।
अखिलेश शर्मा, तहसीलदार, कोलारस

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