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हाईब्रिड बबूल ले रहा पशुओं की जान

locationशिवपुरीPublished: Dec 23, 2017 04:36:22 pm

Submitted by:

shyamendra parihar

सुजवाहा में बसे सौ परिवार सुविधाओं से महरूम
 

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शिवपुरी. विकासखंड की ग्राम पंचायत बड़ा गांव के ग्राम सुजवाहा के बियावान जंगल में रहने वाले एक सैकड़ा से अधिक परिवार मूलभूत सुविधाओं से महरूम होकर परेशान हैं। इन परिवारों के लिए रोजगार का मुख्य व्यवसाय दूध का है, लेकिन फॉरेस्ट ने जंगल में हाइब्रिड बबूल लगाकर उनके मवेशियों को खतरा उत्पन्न कर दिया। गांव तक जाने का तीन किमी का रास्ता पथरीला होने की वजह से बरसात में आवागमन ठप हो जाता है। जबसे गांव का तालाब फूटा, तबसे खेती-किसानी भी बंद हो गई। डीएफओ का कहना है कि कोई जहरीला पौधा वहां नहीं लगाया गया।
ग्राम पंचायत बड़ा गांव का ग्राम सुजवाहा में 2011 की जनगणना के मुताबिक 73 परिवार थे जो वर्तमान में एक सैकड़ा से अधिक हो गए। इस गांव में जाने का कोई रास्ता न होकर पथरीला ऊबड़-खाबड़ मार्ग है। यह रास्ता बारिश के मौसम में बंद हो जाता है, जिसके चलते गांव के लोग गांव में ही रुक कर रह जाते हैं। सडक़ न होने से गांव तक विकास नहीं पहुंच पा रहा। इस गांव में गुर्जर समाज के अधिकांश परिवार निवास करते हैं, जिनका मुख्य व्यवसाय दूध है। यह लोग दूध लेकर अपने दुपहिया वाहन अथवा साइकिल से जब बदहाल रास्ते से होकर निकलते हैं, तो कई बार वाहन अनियंत्रित हो जाने से उनका दूध तक फैल जाता है। चूंकि इस गांव के आसपास फोरेस्ट लैंड है, इसलिए विभाग ने यहां पर हाइब्रिडबबूल का प्लांटेशन जगह-जगह कर दिया है। यह पेड़ जहरीला होता है, जिसे खाने से मवेशियों की जान तक चली जाती है। यानि जिस पशुधन के सहारे इस गांव के लोग अपना जीवन निर्वहन कर रहे हैं, उनकी ही जान के लिए जंगल की हरियाली खतरा बनी हुई है। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह हाइब्रिड बबूल अपने आसपास कोई दूसरे पेड़-पौधे को भी नहीं पनपने देती, जिसके चलते फॉरेस्ट की हरियाली भी कम होती जा रही है।
पूरे समय करनी पड़ती है चौकीदारी
बरसात के सीजन में जब इस गांव के लोग अपने खेतों में बोबनी करते हैं तो पौधे निकलने के साथ ही उन्हें उसकी निगरानी करनी पड़ती है। क्योंकि जंगल के बीच में गांव होने की वजह से खेतों में लगी फसल को वन्य जीव बड़ा नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए जिसके खेत में फसल होती है, उस परिवार का कोई न कोई सदस्य पूरे समय तक निगरानी के लिए खेत पर रुकता है। क्योंकि वन्यजीव एक तरफ से जब फसल बर्बाद करते हैं तो फिर पूरी चट कर जाते हैं। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि जब उनके पशुओं को हिंसक जीव मार देते हैं उसका भी मुआवजा नहीं मिल पाता है। इसका कारण सूचना के बाद भी जिम्मेदारों का नहीं पहुंचना है।
जबसे फूटा तालाब, नहीं हो रही खेती
सुजवाहा गांव में चार साल पूर्व तक एक तालाब हुआ करता था, जिसमें पानी भरा होने की वजह से न केवल आसपास का वाटर लेबल अच्छा होता था, बल्कि गांव के लोग खेती-किसानी भी उससे कर लिया करते थे। चार साल पूर्व यह तालाब तेज बारिश के बीच फूट गया, जिसके चलते इस गांव में सिंचाई के लिए कोई दूसरा साधन नहीं बचा। अब इस गांव में रहने वाले परिवारों की खेती-किसानी भी ठप होकर रह गई। अब यह पूरा गांव एकमात्र दूध व्यवसाय पर ही आश्रित होकर रह गया।
नहीं हुई सुनवाई
&गांव तक जाने के लिए 3 किमी का कोई रास्ता नहीं है। प्रधानमंत्री सडक़ योजना के तहत सडक़ बनाने के लिए आवेदन दिया, पर कोई सुनवाई नहीं हुई। वन विभाग ने जहरीले पेड़ लगा दिए हैं, जिसे खाकर हमारे मवेशी मर जाते हैं। गांव के लोग कठिन परिस्थितियों में अपना जीवन निर्वहन कर पा रहे हैं।
बीर बहादुर गुर्जर,सरपंच बड़ा गांव
&जहरीला पेड़ कभी भी कोई मवेशी नहीं खाता, इसलिए यह कहना गलत है कि हाइब्रिड बबूल खाने से वो मर रहे हैं। यदि कोई हिंसक जीव किसी मवेशी को मारता है तो उसकी सूचना तत्काल दी जानी चाहिए। यदि एसडीओ नहीं आता तो रेंजर से कॉन्टेक्ट करना चाहिए। मुआवजा दिया जाता है।
लविन भारतीय, डीएफओ शिवपुरी
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